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जब पुरी दुनिया मंदी से गुजर रही थी तो ये सोच रहे थे कुछ और…

International Affairs
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“ज़िन्दगी केवल समय काटने के लिये नहीं है,बल्कि जिन्दादिली के साथ जीने के लिये है. इसे घसीट कर नहीं बल्कि उड़ान भरकर जीना चाहिए”

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ऐसा कहना था, हमारे डिजिटल कारीगर यानी “स्टीव जॉब्स” का. जी हां इन्हें आप डिजिटल कारीगर भी कह सकते हैं. इन्होंने उत्पाद बनाते समय कभी भी डिजाइन, मैटीरियल और क्राफ्टमैनशिप पर कोई समझौता नहीं किया था, चाहे वो हार्डवेयर हो या सॉफ्टवेयर. इन्होंने जो चाहा वो बनाया इसके लिए उन्हें दुनिया के किसी भी कोने में जाना मंजूर था.


आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि स्टीव न तो हार्डवेयर इंजीनियर थे, न सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर थे और न ही कम्पनी मैनेजर थे, लेकिन वे एक टेक्नोलॉजी लीडर जरूर थे.


उनके बारे में ये भी कहा जाता है कि स्टीव जॉब्स जब तक जिये, केवल काम ही करते रहे, अपनी मृत्यृ के 6 सप्ताह पूर्व तक वे एप्पल के लिए समर्पित रहें. अपने जीवन काल में स्टीव जिन बातों में अडिग रहे या जो मुख्य काम उन्होंने किए उन कामों से आप भी रूबरू होना चाहेंगे.स्टीव के विचारों और इनोवेशन ने टेक्नोलॉजी और उसे इस्तेमाल करने को लेकर पूरी दुनिया की सोच बदल दी. बिजनेस मॉडल को नई परिभाषा दी, उधोगों को बदला और टेक्नॉलोजी के साथ आर्ट को जोड़ा.


वह नई टेक्नोलॉजी नहीं बल्कि नई टेक्नोलॉजी को लेकर उसे तराशते थे, उसे मांझते थे और उसे इतना आसान बना देते थे कि वह स्टैंडर्ड तकनीक बन जाती थी. उन्होंने जो कुछ बनाया इतना आसान बनाया कि कोई भी शख्स उसका उपयोग कर सके. उन्होंने दुनिया को वह चीज दी जिसे दुनिया ने सोचा भी नहीं था.इंफोर्मेशन, कम्यूनिकेशन और इंटरटेनमेट को एक साथ ला कर एक मंच पर खड़ा किया.


स्टीव ज़ॉब्स में कुछ खूबियां थी तो कुछ कमियां भी थी,लेकिन ओवरऑल वे लाजवाब व्यक्ति थे. उन्होंने फोकस ग्रुपथिंक या कमेटी के फैसलों में अपने आपको कभी नहीं बांधा, वे खुद फैसले लिया करते थे. वो हमेशा दूसरों से अलग सोचा करते थे. उनका नारा भी था ‘Think Different’ .


स्टीव जुनून, विश्वास और साहस का दूसरा नाम था. एप्पल से निकाले जाने के बाद भी  NeXT और Pixar की सफलता इसका उदाहरण है. स्टीव मैग्नेट की तरह थे, वह सर्वश्रेष्ठ टेलेंट को अपनी ओर खींचने का कला जानते थे. उनके पास कभी दम न तोड़ने वाला विश्वास था. आप उनके विश्वास का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि जब सारा विश्व मन्दी के दौर से गुजर रहा था, तब जॉब्स कहते थे, मन्दी कैसी मन्दी? वे कहते थे, देखो एप्पल का प्रोडक्ट खरीदने के लिए लोग लाइन में लगे है फिर मन्दी कैसे मान लूं.

स्टीव को यधपि सामाजिक रूप से व्यावहारिक नहीं कहा जाता था. लेकिन क्या आप जानते है, उन्होंने अपनी ई-मेल आईडी प्रकाशित कर दी थी ताकि कोई भी साधारण व्यक्ति एप्पल के उत्पादों के समबन्ध में उनसे बात कर सके. ऐसा साहस कोई विरला सीईओ  ही कर सकता था...Next


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