- 94 Posts
- 5 Comments
खबरों में है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी (Yousuf Raza Gilaani) के बेटे अली हैदर गिलानी (Ali Haider Gilani) का अपहरण हो गया है. हैदर लाहौर के समीप मुल्तान शहर में चुनावी सभा को संबोधित करने जा रहे थे तभी बंदूकधारियों ने हमला कर उनके संरक्षकों को घायल कर निजी सचिव की हत्या कर दी और हैदर का अपहरण कर लिया. सूत्रों के मुताबिक अब तक हमले और अपहरण की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है. हालांकि इसमें चरमपंथियों का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है. पंजाब पुलिस हैदर को खोजने में जुटी है और मुल्तान से बाहर जाने के सारे रास्ते बंद कर दिए गए हैं. गौरतलब है कि प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने 11 मई को होने वाले आम चुनाव से पहले पीपीपी और अवामी नेशनल पार्टी जैसे दलों को निशाना बनाने की चेतावनी दी थी और इसी के मद्देनजर गिलानी ने पीपीपी की चुनावी सभाओं का नेतृत्व करने से इनकार कर दिया था.
पाकिस्तान (Pakistan)अपनी राजनीतिक अस्थिरता दूर कर अन्य लोकतांत्रिक देशों की तरह अपनी संसदीय प्रणाली को नियमित करने की पूरी कोशिश में जुटा है. आजादी के बाद पहली बार 5 वर्षों का कार्यकाल पूरा कर सका यह देश इस पहली सकारात्मक राजनीतिक पक्ष को और मजबूत करने की दिशा में 11 मई को चुनावों की तैयारी में पूरी लगन से जुटा है. पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप झेलता हुआ भारत का यह पड़ोसी देश खुद भी आतंकवाद का शिकार है. तालिबान की आतंकवादी गतिविधियां से निबटना इसके लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है. लगभग हर चुनाव में जनता और उम्मीदवार दोनों को नुकसान पहुंचाने वाली तालिबानी गतिविधियां इसका सिरदर्द बन जाती हैं. 2008 के चुनाव में भी बेनजीर भुट्टो की गोली मारकर हत्या कर दी गई और पाकिस्तान की यह प्रमुख नेता चुनावी शहादत का हिस्सा बन गईं. नवाज शरीफ भी उस दौरान हमले के शिकार हुए पर बच गए. इस बार भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है. तालिबान ने चुनाव प्रचार में भाग न लेने के लिए उम्मीदवारों को खुली धमकी दी है. कई उम्मीदवारों पर हमले भी हो चुके हैं. दुर्भाग्यवश पूर्व क्रिकेटर और 2013 चुनावों में नवाज शरीफ के सशक्त प्रतिस्पर्धी समझे जा रहे इमरान खान भी अभी हाल ही में एक चुनावी भाषण के दौरान मंच से गिरकर घायल हो गए और अब गिल के बेटे का अपहरण. पाकिस्तान के राजनीतिक स्वास्थ्य के लिए यह बात बिल्कुल भी हितकारी नहीं मानी जा सकती. बहरहाल अब यह अपहरण 11 मई के चुनाव को कौन सा रंग देता है, देखना बाकी है.
Read Comments