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आज कल के समय मे लोग संत महात्माओ के पीछे आँखे बंद करके चलते दिखाई दे रहे है . लोगो द्वारा ऐसा करना उनके खुद के लिए कितना घातक है . इस बात से वो खुद अच्छे से परिचित है , फिर भी वह संतो व बाबाओ के चक्कर मे पद के खुद का नुकसान कर बैठे है . जिसका एक उदाहरण है राम रहीम का डेरा सच्चा सौदा . अपने डेरे मे दो साध्वियो के साथ दुष्कर्म के मामले मे सीवीआइ की विशेष अदालत ने सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी करार कर दिया . जिसके बात उनके समर्थको ने जो उपद्रव मचाया वो वाकई मे उनके अनुयायियों का उनके प्रति समर्थन ही था . किन्तु लोग उन्हें संत ना समाज कर भगवान समज बैठने की भूल कर चुके थे. प्राचीन समय मे वे लोग जो भगवान और आम लोगो के बीच सेतु का कम करते थे संत कहलाये जाते थे . वे भगवान के भक्ति करते थे ना की खुद भगवान बना करते थे . प्राचीन काल के संत महात्मा अपनी मर्यादाओ मे रहना अच्छे से जानते थे . इसी कारण उन्हें आदर व सत्कार भी प्राप्त होता था . किन्तु जैसे जैसे समय रफ़्तार पकड़ता गया अच्छे व सच्चे संतो व महात्माओ का अभाव हो गया . आज के समय मे सच्चे व अच्छे संत महात्मा नाम मात्र के रह गए है . आज कल के समय मे राम रहीम जैसे लोग संत व महात्मा का चोला पहनकर सिर्फ और सिर्फ अपना उल्लू सीधा कर रहे है . दुसरे प्रकार से कहे तो संत समाज को यह समझना चाहिए कि वह कोई ऐसा कम ना करे जिसके चलते उन को किसी भी प्रकार की दिक्कत हो. यहाँ पर दोष हमारे समाज का भी है जो अपनी आँखों को बंद करे इन पाखंड के सौदागरों के पीछे चल देते है . लोगो को अब तो जग ही जाना चाहिए .
प्रेषक . अमन सिंह (सोशल एक्टिविस्ट)
पता . 185/जी , थाना प्रेमनगर , कानून
गोयान, बरेली,(उत्तर प्रदेश)
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मो. 8265876348
ईमेल . mr.amansinghji@gmail.com
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