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शुरू हो गया मिलावट का दौर।

social welfare
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जैसा कि हम सभी को पता है के रंगों व आपसी भाईचारे का प्रतीक माने जाने वाला त्यौहार होली कुछ ही दिनों में आने वाला है। वैसे तो इस त्यौहार की जितनी ज्यादा तारीफ की जाए उतनी कम है । आपसी भाईचारे का प्रतीकात्मक त्योहार होली सभी लोग धूमधाम से मनाते हैं। लेकिन जब बात करें इस त्यौहार के खानपान की तो उसका भी अपना एक विशेष महत्व है। लेकिन हर बार यह देखा जाता है के होली का त्योहार आने से कुछ दिन पहले से ही खानपान के बाजार में मिलावटखोरी अपने कदम रखना शुरु कर देती है। खोया व पनीर जैसे खानपान के पदार्थ मिलावटखोरी का शिकार होने लगते हैं। मिलावटखोरी इन दिनों बाजार में अपनी चरम सीमा पर है । चाहे फिर वह पनीर में हो या फिर खोए में। मिलावटखोरी अपनी सारी हदें पार कर चुकी है। मिलावट से युक्त खाद्य पदार्थो का सेवन करने से पब्लिक को नए-नए प्रकार की बीमारियां हो रही हैं। कुछ बीमारियां तो ऐसी होती है जिनके नाम से भी लोग अपरिचित होते है। अमूमन देखा जाता है कि होली और दिवाली जैसे विशेष त्यौहारो के आने से पहले खाद्य सुरक्षा विभाग की टीमें अपनी सक्रियता को दिखाने का प्रयास करती हैं। तथा खाध सुरक्षा की टीमें कुछ दुकानों पर जाकर खाने के नमूने लेती हैं तथा नमूने गलत पाए जाने के संदर्भ में या तो उनको समझा कर अन्यथा उनसे थोड़ी बहुत धनराशि होली के इनाम के रूप मे लेकर उनको चेतावनी दे दी जाती है । लेकिन क्या मिलावटखोरी करना सही है या नहीं । जहाँ तक मेरा मानना है मिलावटखोरी करना बहुत ही बड़ा अपराध है। क्योंकि एक व्यक्ति का अच्छा स्वास्थ्य उसके अच्छे खान पान से संभव होता है तथा खान पान मे ही मिलावटखोरी होने के कारण मिलावटखोर लोगो के जीवन से भी खिलवाड़ कर रहे है। जब पब्लिक एक दुकानदार को उसके सामान का पूरा दाम दे रही है तो फिर दुकानदार उसे मिलावट वाला सामान क्यों दे रहा है । यह सोचने का विषय है। मैं अमन सिंह बतौर सामाजिक कार्यकर्ता ऐसा मानता हूं कि खान पान के सामान मे मिलावटखोरी जैसे अपराध को एक व्यक्ति की जान से खिलवाड़ करने की श्रेणी मे रखा जाना चाहिये।

लेखकः- अमन सिंह
(सोशल एक्टिविस्ट व आरटीआई एक्टिविस्ट)
प्रेमनगर , बरेली
मो. 8265876348
ईमेल. Writeramansingh@gmail.com

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