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सिनेमा से पहले राष्ट्रगान एक अच्छी पहल

social welfare
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यदि राष्ट्रगान के विषय मे बात करे तो राष्ट्रगान को सर्वप्रथम 27 दिसम्बर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कलकत्ता अधिवेशन मे गाया गया था। राष्ट्रगान को संवैधानिक तौर पर 24 जनवरी 1950 मे अपनाया गया। भारतीय राष्ट्रगान को विविध मौको पर गाया जाता है। राष्ट्रगान के सही वर्जन को लेकर समय-समय पर सुचना प्रसारित की जाती है, जिस भी जगह पर राष्ट्रगान को बजाय या फिर गाया जाता है वहाँ इसका सम्मान होना अनिवार्य है। अधिकारिक रूप से साधारणतः राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकंड का समय लगता है। भारत सरकार ने राष्ट्रगान के गाने को लेकर जो नियम और सुचना है उसे बहुत सी जगहों पर प्रकाशित भी किया हुआ है। राष्ट्रगान संवैधानिक तौर पर मान्य होता है एंव राष्ट्रगान को संवैधानिक विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं। रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित ‘जन-गण-मन’ हमारे देश भारत का राष्ट्रगान है। किसी भी देश मे राष्ट्रगान का गाया जाना अनिवार्य हो सकता है एंव उसके असम्मान या अवहेलना पर दंड का प्रावधान भी हो सकता है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रगान के अवसर पर इसमे सम्मिलित न होकर , केवल मौन भी खड़ा रहे तो इसे अवहेलना नही कहाँ जा सकता । भारत मे धर्म इत्यादि के आधार पर ये छूट लोगो को दी गई है। बीते कुछ दिनो पहले सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरो मे फिल्म के शुरू होने से पहले राष्ट्रगान गाने का आदेश जारी किया है। हम सभी भारतीय मूल के नागरिको को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सम्मान व स्वागत करना चाहिए। हालाँकि हमारे समाज के कई लोग इस बात से खुश है.तो कई लोगो को इस बात से भी आपत्ति है। यदि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को देशहित व राष्ट्र प्रेम के नजरिए से देखा जाए तो एेसा होना देश के लिए हर्ष की बात है। हमारी आजकल की युवा पीढ़ी दिन ब दिन आधुनिकता को इस तरह से अपनाने की होड़ मे लगी हुई कि जिसके चलते वह देश प्रेम के भाव को नजरअंदाज करती जा रही है। अमूमन अँग्रेजी माध्यम के विधार्थी राष्ट्रगान के सम्बन्ध मे न के बराबर ही जानते है। एेसे बच्चे ज्यादातर अपना समय आधुनिकता को प्राथमिकता देने मे लगे रहते है , आज कल की युवा पीढ़ी जहाँ कोई नई फिल्म सिनेमाघरो मे आई नही और उसी दिन उसे देखने की जिज्ञासा व होड़ रखते है। एेसी युवा पीढ़ी को भारतीय मूल के नागरिक होने की दृष्टि से अपने राष्ट्रगान से अवश्य परिचित होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के चलते अब एेसी युवा पीढ़ी भी राष्ट्रगान से परिचित होगी व उनमे भी देश के प्रति राष्ट्र प्रेम की भावना जाग्रत होगी।

प्रेषक. अमन सिंह(सोशल एक्टिविस्ट)
पता. 224 , रोहली टोला , पुराना शहर, बरेली (उत्तर प्रदेश) 243005
मो. 8265876348
ई.मेल. Mr.amansinghji@gmail.com

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