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एक लम्हा ही ज़िंदगी का बहुत होता है (world doctor’s day)

V2...Value and Vision
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SDC13926विश्व डॉक्टर दिवस(1st july) के अवसर पर इस आदर्श सेवा से जुड़े सभी डॉक्टर्स को यमुना का हार्दिक अभिनन्दन.

ईश्वर से मेरी यही प्रार्थना है  कि परमपिता परमेश्वर हम सभी को शारीरिक,मानसिक और आत्मिक रूप से सदा स्वस्थ रखें.
एक अच्छे डॉक्टर की सेवा के प्रति समाज हमेशा नतमस्तक रहता है क्योंकि वह उसे भगवान् का दूसरा रूप मानता है शायद ही कोई विरला ऐसा हो जिसे अपने जीवन काल में एक बार भी डॉक्टर की ज़रूरत न पडी हो.हाँ ,किसी को कम किसी को ज्यादा ज़रूरत हो सकती है.

एक तरफ अगर हम गौर करें तो कुछ बीमारियाँ मुलभुत सुविधाओं के अभाव ,उन तक पहुँच की अक्षमता ,कुपोषण,गंदे पेय जल ,साफ़-सफाई की कमी जैसे कारणों से विकराल रूप ले लेती हैं.वर्त्तमान में सरकारी स्वास्थय सेवाओं की हालत बद से बदतर होती जा रही है.गैर सरकारी संस्था सेहत (CEHAT )Center For Enquiry Into Health And Allied Theme की पद्मा देओस्ली कहती हैं“स्वास्थय अस्पताल की सुविधा भर नहीं है,इसमें प्राथमिक स्वास्थय सेवाएं,बीमारी के रोकथाम के तरीके और सामुदायिक स्वास्थय भी सम्मिलित है.” इसलिए इन बीमारियों के उपचार के लिए इन सारे पहलुओं पर ध्यान देना अत्यावश्यक है.

दूसरी तरफ अगर निजी स्वास्थय सुविधाओं की बात करें तो वे बेहद महंगी होती जा रही हैं.कुछ बीमारियाँ तो वर्त्तमान आधुनिक जीवन की वज़ह से उत्पन्न हो रही हैं.काम का दबाव,रिश्तों में तकरार,नैतिकता का अवमूल्यन ,गला काट प्रतियोगिता में स्वयं को साबित करने का तनाव और इन सब के साथ-साथ खान-पान में लापरवाही ने मधुमेह,ह्रदय से सम्बंधित बीमारी के साथ सड़क दुर्घटना,असंवेदी निर्णय लेकर गलत और असामाजिक कदम उठाने की बीमारी को जन्म दिया है.

दोनों ही पहलुओं की बीमारी को मद्देनज़र रखते हुए मैं एक नियम बद्ध और प्रकृति के अनुकूल जीवन शैली को स्वस्थ शरीर के लिए अत्यावश्यक मानती हूँ . शरीर के सेल्फ healing mechanism पर भरोसा रखना भी बहुत ज़रूरी है.ज़रा सी बीमारी या सर दर्द में अनावश्यक रूप से त्वरित आराम के लिए ली गयी दवा असर तो करती है पर दूरगामी दुष्प्रभाव भी दिखाती है.यहाँ मेरा तात्पर्य बीमारी होने पर उसे नज़रंदाज़ करना नहीं है .अगर फिर भी अस्वस्थता का सामना करना पड़े तो उपचार के दौरान कुशल डॉक्टर से इलाज़,सही दवा का चयन ,उस चयन पर विश्वास,स्वयं पर विश्वास और सबसे अधिक ईश्वर पर भरोसा जैसी बातों का अवश्य ध्यान रखें.यह सारी बातें आपको जल्द स्वस्थ होने में सहायक होगी.

एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए दो शब्द युग्म की चुम्बकीय शक्ति मुझे सदा आकर्षित करती हैं –

१ उचित आहार-विहार
२ उचित आचार-विचार

उचित आहार का अर्थ है सही वक्त पर लिया गया शुद्ध,सात्विक,संतुलित और पौष्टिक भोजन.
ये भी सच है कि शुद्ध भोजन की कल्पना इस प्रदूषित वातावरण में कैसे की जा सकती है,पर फिर भी भोजन बनाने में सजगता से कुछ हद तक इस उद्देश्य की पूर्ति होनी संभव है.जैसे भोजन को तलने से बेहतर है कि उसे उबाल कर, भाप में या फिर ,भुनकर पकाना ,अधिक तेल का प्रयोग ना करना,सब्जी-फलों को गुनगुने तथा नमक मिले पानी से अच्छी तरह धोकर खाना,साफ़-सफाई से भोजन तैयार करना .और सबसे महत्वपूर्ण एक बात यह कि भोजन बड़े प्यार से बनाना और परोसना.कहते हैं भोजन पकाने के वक्त गृहणी के मनोभाव भोजन के स्वाद को भी निर्धारित करते हैं कहा गया है“जैसा खाओ अन्न;वैसा हो मन” इसके ठीक विपरीत यह बात भी सही कि “जैसा हो मन,वैसा बने भोजन”

तामसी भोजन ,तामसी प्रवृति,तम्बाकू,धुम्रपान या अन्य नशा से दूर रहना ज़रूरी है.सरकार से यही अपील है कि नशा के सारे साधन बंद करे जब यह उपलब्ध ही नहीं होगा तो लोग स्वयं ही दूर रहेंगे.इस सम्बन्ध में मध्य प्रदेश सरकार की गुटका बंद की पहल स्वागत योग्य है .नशाबंदी के इस अभियान में पूर्ण सफलता तो नहीं मिली है पर यह ज़रूर है कि हर चौराहे,नुक्कड़ की दूकान पर यह सहजता से उपलब्ध भी नहीं है .

उचित विहार का तात्पर्य प्रतिदिन के शारीरिक कार्य व्यवहार से है.इसमें शारीरिक व्यायाम ,कार्य ,योगासन के साथ प्रातः और सायकालीन भ्रमण को लिया जा सकता है .इस के अतिरिक्त सप्ताहांत में या अवकाश मिलने पर किसी दोस्त,रिश्तेदार के यहाँ जाना या फिर घर से बाहर किसी भी ऐसी जगह घूम आना जहां आपको सुकून मिले.यह प्रकृति की सुरम्य गोद भी हो सकती है या अच्छी मूवी देखने के लिए सिनेमाघर भी हो सकता है.बस आपको वह पल उसी वातावरण में जीना है क्योंकि सारी थकान,तनाव को भुलाकर आप उस स्थान पर सुकून भरे पल की ख्वाहिश में गए हैं.

उचित आचार से अभिप्राय है व्यवहार का सही तरीका ,अच्छे चाल-चलन या अच्छे आचरण होना.इसके लिए धैर्य ,संयम,विवेक के साथ अनुशासित होकर नियोजन और समय प्रबंधन को ध्यान में रखकर ज़िन्दगी का एक-एक लम्हा ,प्रकृति के अनुकूल होकर जीना.समय प्रबंधन इसलिए ज़रूरी है क्योंकि इसी २४ घंटों का यह जीवन ईश्वर का दिया अनमोल तोहफा है.महान से महान व्यक्तिओं को भी यही २४ घंटे मिले थे जिसके एक-एक लम्हे को उन्होंने सुनियोजित रूप से सदुपयोग किया था.अतः प्रत्येक भोर की प्रथम किरण का स्वागत करने के साथ उस परम पिता को धन्यवाद देना है जिन्होंने हम सब को एक और नया दिन प्रदान किया ताकि समाज को हम अपने सत्कर्मों से कुछ दे सकें .“चरैवति चरैवति “ सिद्धांत के अनुसार सक्रिय रहे क्योंकि इससे रात में नींद भी अच्छी तरह आयेगी और आपको नींद के लिए किसी गोली का सहारा नहीं लेना होगा.आगे बढ़ते हुए अपने जीवन किताब के हर पृष्ठ पर कुछ अच्छा लिखते जाएं .कहा गया है “जो सो रहा है वह कल्कि है,निद्रा से उठकर बैठने वाला द्वापर,उठकर खडा हो जाने वाला त्रेता और जो चल पड़ता है वह सतयुग है”

उचित विचार का बहुत सीधा सा अर्थ हमारे मन मस्तिष्क में उठने वाली सोच से है. स्वस्थ रहने के लिए जीवन को अपने स्वाभाविक रूप में सरलता और सहजता से जीना.बहुत आवश्यक है.विचार सहज होने के साथ सकारात्मक(positive) भी होने चाहिए. यह शरीर एक कल्प वृक्ष माना गया है.हम जैसा विचार रखेंगे वही हमारे चेतन,अर्धचेतन,अवचेतन में समा जाएगा और हमारी आदत का हिस्सा बन जाएगा.बार-बार रस्सी घिसने से शिला पर निशाँ पड़ जाते हैं तो क्या बार-बार के नकारात्मक विचार हमारे चरित्र पर भी प्रभाव नहीं डालेंगे? एक उदाहरण की मदद से स्पष्ट करती हूँ– हम अपने कई sites के लिए विशेष रूप से अलग-अलग कठिन से कठिन पासवर्ड बनाते हैं पर जब भी अकाउंट खोलते हैं उंगलियाँ स्वयं ही वही पासवर्ड अनजाने में ही टाइप कर देती हैं क्योंकि कई बार करने से वह हमारे मस्तिष्क पर अपनी छाप बना लेता है.स्वामी सिवानन्द के अनुसार

A mountain is composed of tiny grains of earth,the ocean is made up of tiny drops of water.Even so ,life is but an endless series of little details,actions,speeches and thoughts and the consequences whether good or bad of even the least of them are far-reaching .

जीवन की स्वाभाविकता से उतरोत्तर दूरी हमारे जीवन को विषमय बनाने लगती है.आप को याद होगा कि छोटी कक्षा में पढ़ाते वक्त ज्यामिति(geometry) के शिक्षक विषय की शुरुआत ही बिंदु से करते हुए सरल रेखा(straight line) के विषय में बताते हुए कहते थे” दो बिन्दुओं को मिलाने वाली सीधी रेखा को सरल रेखा कहते हैं और यह उन्ही दो बिन्दुओं को मिलाने वाली वक्र रेखा(curve ) से हमेशा छोटी होती है.”यही बात ज़िंदगी के साथ भी है. प्रत्येक दिन छोटी-छोटी बिन्दुओं जैसी घटनाओं पर बेहद स्वाभाविकता,सहजता और विवेकपूर्ण तरीके से निर्णय लेना ज़रूरी है इससे ज़िन्दगी सरल हो जाती है साथ ही ;ऐसे में उन निर्णयों पर पुनर्विचार की ज़रूरत ही नहीं पड़ती.

कभी-कभी आपके मित्र,रिश्तेदार,भाई-बहन यह शिकायत कर सकते हैं कि आपने उन्हें उनके जन्म दिवस या विवाह की वर्षगाँठ में फोन पर शुभकामना नहीं भेजी जबकि सर्वश्रेष्ठ उपाय यह है कि उन्हें स्वयं अपनी यह खुशी बांटनी चाहिए यह कह कर कि आप आज के शुभ दिन हमारा आशीर्वाद (अगर बड़ों का जन्म दिवस है)लो क्योंकि यह खुशी हम तुम्हारे संग बाँट लेना चाहते हैं.और अगर छोटे हैं तो यह कहकर कि मुझे आज के शुभ दिन आप बड़ों का आशीष चाहिए .फिर शिकवे-शिकायत की गुंजाइश ही नहीं रहेगी.मैं अपने जन्म दिवस और विवाह के साल गिरह पर स्वयं फोन कर बड़ों का आशीर्वाद ,हमउम्र का प्यार और छोटों का स्नेह मांग कर अपनी खुशी बाँट लेती हूँ क्योंकि मेरे लिए ज़िंदगी सरल है इसे किसी भी कीमत पर मैं वक्र रेखा की तरह उबाऊ और बोझिल नहीं बनाना चाहती हूँ.

आप सब ने एक प्रसिद्ध चित्रकार की कहानी सुनी होगी.उसकी चित्रकारी की प्रसिद्धि दसों दिशाओं को सुवासित कर रही थी.एक बार उसने एक सांप की पेंटिंग बनायी. इतनी जीवंत चित्रकारी थी कि सांप की फुफकार तक सुनी जाए,लोग वाह-वाह कर उठे.पेंटिंग की मूल प्रति के अलावा एक भी उसके पास ना बची.सारी की सारी बिक गयीं.
चित्रकार अति उत्साही हो गया .उसने चित्र की मूल प्रति में नए प्रयोग करने शुरू किये और फिर उसकी कई प्रतियां बाज़ार में उतार दिए.इस बार एक भी पेंटिंग नहीं बिकी.जानते हैं kyon ????????????//
उसने प्रयोगधर्मिता में सांप की आँखों पर पलकें बना दी,अजीब से चटकीले रंगों से आँखों को अत्यधिक चमकीला बना दिया यही नहीं उसने सांप के पैर भी बना दिए.इस प्रकार उसने एक सरल सी पेंटिंग को अनावश्यक रूप से बेहद जटिल कर दिया और अपने हुनर पर एक प्रश्न चिन्ह छोड़ गया.

मुझे अपनी कक्षा का एक गोलू-मोलू सा विद्यार्थी याद आता है जो हमेशा शिकायत लेकर मेरे पास आता था.उसे एक सीनिअर विद्यार्थी धमकी देते हुए कहता था,”अभी एक दूंगा ना”अभी बताता हूँ,अभी दिखाता हूँ”और वह गोलू-मोलू परेशान हो जाता था.
मैंने उसे बेहद सरल तरीका बताया और भेजा उस लड़के के पास .
अब जब भी वह सीनिअर उसे धमकाता,”अभी एक दूंगा”
गोलू कहता,”भैया,एक क्या मैं तो दस की उम्मीद लगाए बैठा हूँ”वह सीनिअर अवाक हो जाता. तब गोलू कहता,”अरे भैया! chocolate की बात कर रहा हूँ.
जब वह कहता,अभी दिखाता हूँ”तो गोलू कहता,हाँ भैया,दिखाओ ना मुझे अपना प्यारा प्रोजेक्ट,मैं भी सीखूंगा.”
जब सीनिअर कहता,अभी बताता हूँ”तो गोलू सा विद्यार्थी कहता,हाँ,हाँ भैया वह कहानी बताओ ना या हाँ मुझे इस मूवी की पुरी कहानी बताओ ना.”
और बस उन दोनों में सरलता से दोस्ती हो गयी.
कहने का अर्थ है “ज़िंदगी बहुत सरल है,हम कभी-कभी अपने सोच व्यवहार और अविवेक से इस प्यारी सी सरल ज़िंदगी को बेहद जटिल बना देते हैं और एक एक लम्हा इतना बोझिल हो जाता है जैसे वह एक सदी सी हो जाए.इसके विपरीत हमें ज़िंदगी में समस्याओं के आसान हल निकालने चाहिए.

एक मशहूर शेर है

“एक लम्हा ही ज़िंदगी का बहुत होता है
हम जीने का सलीका ही कहाँ रखते हैं.”

दोस्तों,इस गद्य का यहीं समापन करती हूँ पर इस ब्लॉग के भाव से जुडी कविता “जीवन है सरल” अगले ब्लॉग में लिखूंगी.यहाँ लिखने से यह ब्लॉग अनावश्यक रूप से लंबा हो जाएगा और आप पुरे ब्लॉग को पढ़ने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं.
क्रमशः ………………..
पाठकों मैं कोई थेरापिस्ट नहीं हूँ .हाँ,ईश्वर के दिए इस अनमोल जीवन से बहुत प्यार करती हूँ,परम पिता परमेश्वर द्वारा प्रदत्त जीवन और उसके SELF HEALING MECHANISM  पर पूरा यकीन रखती हूँ. “एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है.”अपने परिवार,समाज,देश विश्व की सेवा के लिए शारीरिक,मानसिक,सामाजिक और आत्मिक रूप से स्वस्थ रहना अत्यावश्यक है.आप सब स्वस्थ और प्रसन्न रहे बस यही दुआ करती हूँ.

“जीवन है सरल” https://www.jagran.com/blogs/yamunapathak/2012/07/07/%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%A8-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%B2/

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