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ओह! दिस स्लॉपी क्रॉल्स……(ट्रेजेडी ऑफ़ डॉक्टर्स प्रिस्क्रिप्शन)

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doctor
एक पर्ची ,उस पर अंग्रेज़ी के अक्षरों में लिखे कुछ शब्द जिसे पढ़ पाना सागर मंथन के सदृश,पढ़ कर समझने में सफल तो अमृत पा  लिया और दुर्भाग्यवश न पढ़ पाए तो ये शब्द विष बन जाएंगे …..

हाँ ,यही तो होती है “Tragedy of doctor’s prescription ”


प्रिय पाठकों,आप सभी को हिन्दी की क्लास में सुलेख और इंग्लिश की क्लास में सुलेख के होम वर्क याद होंगे ,जो ना चाहते हुए भी हमें प्रतिदिन एक-एक पेज लिखने ही होते थे.नौकरी प्राप्त करने के लिए भेजे जाने वाले दरखास्त (application )  भी कभी-कभी स्वयं की handwriting में ही भेजने की शर्त होती थी.इसका उद्देश्य उम्मीदवार के व्यक्तित्व की पहचान करना होता था और लिखावट विशेषज्ञ (handwriting analyst ) इस बात को बखूबी अंजाम भी देते थे.मुझे याद है मेरे छोटे भाई की लिखावट सुन्दर न होने की वज़ह से वे मुझसे ही application लिखवाते थे.पर एक बार उनसे यही कहा गया,”यह लिखावट आपकी नहीं है”उन्होंने यह बात स्वीकार की पर जानकारी के लिए पूछा “आप इतने विश्वास पूर्वक यह बात कैसे कह रहे हैं?”तब उन analyst  ने कहा'” आप जिस जॉब के लिए आये हैं उस क्षेत्र में कलात्मक लिखावट के प्रति रुझान बहुत कम देखने को मिलता है.ऐसी लिखावट के व्यक्ति शिक्षा,कला या साहित्य से जुड़े लोग ही हो सकते हैं.”

चींटी स्याही भरी दवात से बाहर आकर कागज़ पर रेंग गई हो (sloppy crawls)और tragedy यह कि इस लिखावट को डॉक्टर भले ही समझ रहा हो पर जिसके लिए लिखा जा रहा है उसे या फिर कैमिस्ट को समझ में आ जाए इसकी कोई निश्चितता (certainity)नहीं होती है.शायद इसलिए एक लोक प्रचलित उपमा भी लोग देते हैं “his/her  handwriting is as illegible as doctor’s prescription.”विशेष रूप से गाँव ,कस्बों और छोटे शहरों के कुछ chemist drug prescription नहीं पढ़ पाते.

इसका कारण क्या है-असावधानी,जल्दबाजी या असंवेदनशीलता ? जाहिर सी बात इतने आदर्श पेशे से जुड़े  लोग वाकई अपने मरीज के प्रति पूर्णतः संवेदनशील होते हैं.उन्हें स्वस्थ देखने और उनकी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी को सुन कर मृदु स्वभाव और मधुर वाणी का भी परिचय देते हैं और उनके(मरीज) लिए कल्याणकारी (शिवम्)भी साबित होते हैं.जो मरीज को पूर्ण सत्यता से अपनी स्वास्थ्य संबंधी बात कहने का विश्वास देता है. जब
सत्यम,शिवम् तक बात आ जाती है तो उसे सुन्दरम भी बनाने की कोशिश करना अत्यावश्यक है.पर्ची(prescription )में सुन्दर,स्पष्ट अक्षरों में लिखे दवा के नाम मरीज को अप्रत्यक्षतः सन्देश देंगे कि उसका डॉक्टर जल्दी में नहीं है और उसका धैर्यपूर्वक पूरा ध्यान रख रहा है .बस यही तो है एक चिकित्सक की सत्यम से शिवम् और फिर सुन्दरम तक की संछिप्त पर बेहद आवश्यक यात्रा जो उसके इस पेशे को बहुत ही महान बनाती है.तभी तो मरीज अपने डॉक्टर को भगवान मानता है.

मेरे एक पहचान की महिला के साथ एक वाक्या हुआ.उनके चेहरे पर rashes हो गए थे.उन्होंने अपने फॅमिली डॉक्टर से consult किया .दवा दूकान से उन्हें  वही दवा नहीं दी गई जो डॉक्टर ने लिखी थी या यूँ कहिये उन्हें गलत दवा मिल गई पर कुछ महिलाओं में इतना धैर्य कहाँ होता है कि कवर पर लिखे नाम से दवा का मिलान भी कर लें और वह भी चेहरे का मामला हो तो फिर तो बस और भी जल्दबाजी हो जाती है…..अक्सर ऐसा होता है कि एक तो लापरवाही और दूसरे डॉक्टर के handwriting की वज़ह से लोग दवा के कवर पर लिखे नाम को पर्ची परprescription लिखे उस नाम से मिलाने की ज़हमत नहीं उठाते .
खैर ,वह दवा रात सोने के पहले लगानी थी.अतः वे दवा लगा कर सो गई.मध्य रात्रि में चेहरे पर जलन से वे अर्ध निद्रा में ही उठीं और चेहरे से दवा धोया पर सवेरे वे rashes और भी फ़ैल गए थे और कुछ दिनों बाद उनके चेहरे की गोरी रंगत स्याह हो गई.वे कुछ ना कर सकीं. शिकायत भी क्या करती ?? फॅमिली डॉक्टर होने का लाभ उन साक्षर शिक्षित डॉक्टर को मिला.पर आज जब भी मैं उन दीदी से मिलती हूँ तो यही ख्याल आता है “काश!वे डॉक्टर निरक्षर शिक्षित डॉक्टर होतीं !दीदी भी सावधान होती तो उनके चेहरे की वह चमकती रंगत यूँ परिवर्तित हो कर विकृत न होती.

‘दैनिक जागरण’ अखबार १२ सितम्बर २०१२ को जब मैंने यह समाचार पढ़ा कि महाराष्ट्र राज्य के senior doctors  ने लिखावट सुधारने की मुहिम चलाई है तो बहुत प्रसन्नता हुई.मेडस्केप इंडिया नाम से ट्रस्ट बनाया गया है ताकि कैपिटल letters में स्पष्ट लिखावट के प्रति जागरूकता फैलाई जाए और इसके ज़रिये दवा संबंधी गड़बड़ियों और मेडिकल practitioner को (illegible scribbles)कानूनी झंझट से बचाया जा सके.महाराष्ट्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सुरेश शेट्टी जी ने कहा,”महाराष्ट्र मेडिकल कौंसिल अगर जन हित में कोई अभियान चलाती है तो सरकार उसे पूरा समर्थन देगी.”

मेडस्केप इंडिया doctors के लिए इस दिशा में (HANDWRITING LEGIBILITY) कार्यशालाएं आयोजित करने जा रहा है.जिसके अंतर्गत ‘drug prescription  लिखते वक्त doctors capital letters  के साथ correct spellings  पर भी ध्यान रखें. अगर small letters  प्रयुक्त किये जाएं तो उनका झुकाव(slant ) लगभग 15-20  डिग्री से अधिक न हो.इसमें भी विशेष रूप से O,E और T की स्पष्टता(clearity ) पर ज्यादा ध्यान दिया जाये.doctors  अपने contact  number  पर्ची में अवश्य दें ताकि किसी भी असहुलियत में उनसे संपर्क किया जा सके.’

Maharashtra Medical Council,Dental Council,Neurologists Association ,Gynaecologists Association ,Homoepathy Council,Ayurvedic Council,Federation Obsteric And Gynaecological Society Of India(FOGSI) जैसी 24 संस्थाओं से यह आग्रह किया गया है कि वे इस दिशा में पहल करें.एक सर्वेक्षण के अनुसार USA में इस असावधानी की वज़ह से करीब 7000 मौत प्रत्येक वर्ष होती है. भारत देश में ऐसे आंकड़े उपलब्ध ही नहीं हो पाते .कारण स्पष्ट है कुछ तो इस ब्लॉग में लिखी घटना सरीखी स्थितियां होती हैं और कुछ देश के लम्बी कानूनी कार्यवाही का भय.स्पष्ट सबूत (दवा की पर्ची ,chemist की रसीद ,दवा के पैकेट इत्यादि) होते हुए भी लोग शिकायत दर्ज नहीं कराते.

Medscape India  की ग्रुप प्रेसिडेंट डॉक्टर सुनीता दुबे का कहना है “Due to lack of clarity in doctor’s written prescriptions,the number of deaths caused in India and internationally are on a shocking rise……….an incorrect drug is administered to the patient which a lot of time proves fatal or nearly fatal.”

इस छोटे पर अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू पर जितना जल्दी कार्यान्वन हो उतना ही अच्छा है.फिर लिखावट की असावधानी के फलस्वरूप होने वाली असामयिक मौत या दुर्घटना भी नहीं होगी,ना ही दीदी के साथ हुई लापरवाही की वज़ह से कोई मेरी तरह पूर्वाग्रही हो कर यह सोचेगा,काश!वे doctor निरक्षर शिक्षित पेशेवर होती .. साथ ही लोक प्रचलित उपमा (as  illegible as doctor’s prescripion )भी लोगों की जुबां पर कभी नहीं होगा.

विश्व स्तर पर सभी doctors से हमारी अपील है कि वे इस दिशा में अवश्य सोचें और कितनी भी जल्दी हो पर prescription पर दवा का नाम स्पष्ट handwriting में ही लिखें.आपकी यह सावधानी और संवेदनशीलता कई लोगों को सही दिशा दे कर मुसीबत से बचा सकेगी.

हाल के समाचार में सुना और पढ़ा कि अब प्रत्येक डॉक्टर को दवा के नाम पढ़े जाने योग्य कैपिटल अक्षर में लिखना अनिवार्य होगा ..साथ ही दवा के जेनेरिक नाम भी लिखने होंगे .सभी डॉक्टर ने इस बात का स्वागत किया है उनके अनुसार .हालांकि जहां एक डॉक्टर के लिए मरीजों कि बाढ़ रहती है वहां इस नियम को अपनाने में वक़्त अवश्य लगेगा …साथ ही दवा के नाम कैपिटल अक्षर में लिखने का यह कदम अतिरिक्त समय अवश्य लेगा पर मरीजों की सुविधा के लिए सराहनीय कदम होगा . Indian Medical Association’s Dr. K.K. Aggarwal ने बताया कि केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्रालय इस सम्बन्ध में जल्द ही नियम लाएगा जो पूरे देश में मान्य होगा .

धन्यवाद.

पेशे से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की अमूल्य सेवा का सदा सम्मान करती हूँ.)

(चित्र और जानकारी नेट से साभार)

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