- 259 Posts
- 3039 Comments
1)
अगर फेसबुक नहीं होता
तो…ज़िंदा होती …
वो नीम तले की चौपाल
वो पनघट की मुलाक़ात
वो कॉफ़ी हाउस के तकरार
बूढ़े बाबा की चाय मसालेदार
ठिठोली और अमिया चटखारेदार
पापा के जेब से पाती शानदार
अपनों की यादों से खुशबूदार
अम्मा की वो रसोई ज़ायकेदार
बुक को फेस करना मुश्किल ही रह गया
फेस को बुक की तरह पढना सीख दिया .
2)
जनाजे मेें शरीक सिर्फ सगे संबंधी और गली के दोस्त थे
ये बात और है कि फेसबुक पर दोस्त मिलते उसे रोज थे ।
3)
कविता …क्या है ..
कुछ एहसास
कुछ ज़ज़्बात .
4)
रंगों के इस बंटवारे मेें कहीं
तिरंगे के टुकड़े न हो जाएँ
चुनाव के ऐसे मरघट मेें ही
असली मुद्दे मुर्दे न हो जाएँ ।
5)
हर सुबह को
रहती है दरकार
चाय की ब्राण्ड या
एक और कप का साथ ??
चाय हो…..
गोल्ड रेड लेबल टाटा
या…
ताज टेटली पताका ।
उसकी चुस्की ; उसकी महक
उसकी कड़क ; उसकी तलब
तभी मायने रखती है
हो जब
कप को एक और कप का साथ ।
प्रेम और विश्वास की
सोंधी महक से
चीज अपने आप में ही
बन जाती है एक ब्राण्ड ।
6)
ए जिंदगी
तुझसे इतनी ही
ख्वाहिश है कि
ख्वाहिशों की
ख्वाहिश से
परेशान न कर ।
7)
अमिट छाप छोड़ने की ख्वाहिश मेें होती जाती है बंदगी
लेकिन एक कप चाय की याद ही रह जाती है जिन्दगी ।
8)
मंजिलें भी चलने का साक्ष्य चाहती हैंं ।
हर कदम पिछले का हिसाब मांगती है ।
9)
ए जिंदगी तुझसे बेइंतहा मोहब्बत है
क्योंकि तू रब की खूबसूरत नेमत है ।
10)
मोहलत दौलत ज़रुरत शोहरत
और एक दिन होना है रुखसत
इसलिए ज़िंदगी जिए इस तरह
कि शुक्रगुज़ार सदा रहे कुदरत .
11)
बहुत सूकून है इन ऊंची ऊंची इमारतों में
ज़मीर तो मरते हैं इंसानों की ऊंचाइयों में .
12)
जिसकी प्रीत की सरगोशी में
लिखी पूरी एक किताब मैंने
अफ़सोस कि उस सितमगर ने
इसका कवर पेज तक न देखा .
यमुना पाठक
Read Comments