Menu
blogid : 9545 postid : 1388156

ढाई आखर का यह शब्द

V2...Value and Vision
V2...Value and Vision
  • 259 Posts
  • 3039 Comments

ऐसा नहीं था कि
माँ के पास नहीं थी
अच्छी साड़ियाॅ
पर फिर भी वे
पहनती थी अक्सर
बड़े बड़े फूलों वाली
नारंगी रंग की एक साड़ी
ऐसा नहीं कि
उन्हें था
साफ सफाई से इनकार
फिर भी छोड़ देती थी
पूजा घर का वह कोना

जाना इतने दिनों बाद
बहुत ही सुंदर लगती थी
वे पापा को
उस नारंगी रंग की साड़ी में
और पूजा घर का वह कोना
पापा ही सजाते थे
पढते पृष्ठ कभी इस ग्रंथ के
कभी उस ग्रंथ के
माँ नहीं जानती थी
पढना लिखना
पर समझती थी
न हो पापा को
कोई असुविधा
कभी उनकी वजह से

प्रेम का ऐसा इजहार
.माँ से बेहतर कौन सीखा सकता है
ढाई आखर का यह शब्द
बगैर पढे भी कोई निभा सकता है ।

नारंगी रंग की साड़ी
और ग्रंथ के बुक मार्क बने
एक रेशमी फीते मेें
माँ की जिन्दगी ठिठक गई है ।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply