V2...Value and Vision
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ऐसा नहीं था कि
माँ के पास नहीं थी
अच्छी साड़ियाॅ
पर फिर भी वे
पहनती थी अक्सर
बड़े बड़े फूलों वाली
नारंगी रंग की एक साड़ी
ऐसा नहीं कि
उन्हें था
साफ सफाई से इनकार
फिर भी छोड़ देती थी
पूजा घर का वह कोना
जाना इतने दिनों बाद
बहुत ही सुंदर लगती थी
वे पापा को
उस नारंगी रंग की साड़ी में
और पूजा घर का वह कोना
पापा ही सजाते थे
पढते पृष्ठ कभी इस ग्रंथ के
कभी उस ग्रंथ के
माँ नहीं जानती थी
पढना लिखना
पर समझती थी
न हो पापा को
कोई असुविधा
कभी उनकी वजह से
प्रेम का ऐसा इजहार
.माँ से बेहतर कौन सीखा सकता है
ढाई आखर का यह शब्द
बगैर पढे भी कोई निभा सकता है ।
नारंगी रंग की साड़ी
और ग्रंथ के बुक मार्क बने
एक रेशमी फीते मेें
माँ की जिन्दगी ठिठक गई है ।
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