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कवि गीतकार साहित्यकार जो कुछ भी रचते हैंं वे काल्पनिक या वास्तविक होती है ।पर क्या वे रचनाएं किसी विशेष व्यक्ति परिस्थिति पर उचित भी लगने लगती हैंं । आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी का भाषण सुन रही थी साथ ही नीरज जी की एक पुस्तक पढ रही थी ।जाने क्यों और कैसे दोनों ही बातें एकाकार होने लगी ।
मोदी जी का व्यक्तित्व निराला है ।यह कहने वाले कि अगर मैं बोलना शुरु किया तो मोदी जी 15 मिनट खड़े न रह पाएंगे बहुत निराशा जनक स्थिति का सामना करने को विवश हुए।
नीरज जी की पंक्तियाँ याद आती है ।
‘ जहाँ मैं हूॅ वहाँ उम्मीद पैहम टूट जाती है
जवानी हाथ मल मलकर वहाँ आॅसू बहाती है
चमन है फूल हैंं कलियाँ है खूशबू भी है रंगत भी
मगर आकर वहाँ बुलबुले तराने भूल जाती है ।
सच है कि मोदी जी को कोई शब्द से गिरा नहीें सकता ।
नीरज जी की सुन्दर अभिव्यक्ति है
उड़ने के लिए ही जो है बनी वह गंध सदा उड़ती ही है
चढने के लिए ही जो है बनी वह धूप सदा चढती ही है ।
राहुल गांधी जी का जोरदार भाषण खत्म होने के बाद मोदी जी बोले ।और खूब बोले ।
नीरज जी की सुन्दर पंक्तियाँ हैंं….
दीप और पतंगे मेें फर्क सिर्फ इतना है
एक जल के बुझता है एक बुझ के जलता है ।
किसी भी समाज राज्य देश मेें शासन किसी एक ही वंश के हाथों मेें पीढ़ी दर पीढ़ी चलता जाए तो यह लोकतंत्र पर प्रश्न चिन्ह छोड़ता है ।फिर हर विफलता का ठीकरा वंशवाद पर ही फोड़ा जाता है ।चाहे वह गरीबी हो बेरोजगारी या भष्टाचार ।
मोदी जी ने इस एक बात को बार बार अपने भाषण मेें की कई बार उठाया है ।
नीरज जी की पंक्तियाँ एक जगह कमोबेश ऐसी ही किसी स्थिति के बारे में कुछ इस तरह मुखर होती है
गरीब क्यों न रहे देश की सारी बस्ती
है कैद खुशियाँ सभी एक ही घराने मेें ।
संसद मेें सबसे चर्चित गतिविधि राहुल जी का व्यवहार रहा ।प्रश्न यह है कि क्या यह उम्र पद स्थान की गरिमा के अनुकूल कहा जा सकता है ? फिर इस आॅखों की बात करने वालों की आॅखों की हरकत पूरे देश ने देखा ।कैसे आॅखें खोली बन्द की जाती हैंं, कहते हुए मोदी जी के हाव भाव । सब कुछ किसी फिल्म की तरह ।ऐसा भी एक सांसद ने कहा । नीरज जी की पंक्तियाँ याद आती है
जो उठाती थी न सर अपने बड़ों के आगे
हमने तहज़ीब वो न इधर देखी है ।
खुदकुशी करती है आपस की सियासत कैसे
हमने ये फिल्म नई खूब इधर देखी है ।
सच ही कहा है नीरज जी ने
जिस दिन से मैंने संसार को पुकारना शुरू किया उस दिन से मुझे लगने लगा है कि जीवन मेरी और तुम्हारी नहीें उन सबकी आवाज है जिनकी कि कोई आवाज ही नहीें है ।
काश हमारे नेता इस बात को बखूबी समझ पाते ।देश हित की बातों पर भी अविश्वास दिखाना देश की छवि को नुकसान पहुंचाना होता है ।
ज्यों लूट ले कहार ही दुल्हन की पालकी
हालत यही है आजकल हिन्दुसऽतान की ।
सर्जिकल स्ट्राइक को जुमला स्ट्राइक जैसा नाम देना सैन्य मनोबल को तोड़ना ही है ।
नीरज जी की पंक्तियाँ मुझे भी बेचैन कर रही है
अब उजालों को यहाँ वनवास लेना ही पड़ेगा
सूर्य के बेटे अंधेरों का समर्थन कर रहे हैंं ।
लोग विरोध कर रहे है कि राहुल गांधी जी ने तो फिर भी मुद्दे उठाए पर मोदी जी गोल गोल घूमाते ही रहे । जबकि मोदी जी ने हर बात का सिलसिलेवार जवाब दिया है ।पर नहीें जिन्हें मोदी एक व्यक्ति दिखते हैंं वे सवा सौ करोड़ की जनता के EQ IQ SQ emotional quotient Intelligence Quotient Spiritual Quotient के दृष्टिकोण से मोदी जी की पार्टी और उनके अच्छे काम का आकलन करने की जरूरत नहीें समझ सकते ।पुन: नीरज जी को याद करती हूॅ ।
औरों के घरों की धूप उसे क्यों पसंद हो
बेची हो रोशनी जिसने अपने मकान की ।
आदरणीय मोदी जी भागीदार हैंं देश के गरीबों के दुख के ।सबका साथ सबका विकास उनका मूल मंत्र है ।
नीरज जी की पंक्तियाँ बहुत सटीक है
मैं उन्हें चाॅद दूँगा जिनके घर नहीें सितारे जाते हैं
मैं उन्हें हॅसी दूँगा जिनके घर फूल नहीें हंस पाते हैंं
मैं उनका तीरथ हूॅ जिनके पैरों की मिट्टी काशी है
उनका सावन हूॅ जो रेगिस्तानों से हाथ मिलाते है ।
तुमसे कोई दुश्मनी नहीें बस इतना कहना है मेरा
वे सभी हॅसे जो रोए हैंं, वे सभी जगे जो सोए हैंं ।
मैं नवयुग निर्माता हूॅ रूढि विधान बदलकर छोड़ूंगा
खुद मिट जाऊंगा या सब सामान बदलकर छोड़ूंगा ।
राहुल जी ने मोदी जी उनकी पार्टी शिव भक्ति आर एस एस का धन्यवाद किया कि वे यह बात सीख सके कि गाली देने वाले को भी गले लगा कर आगे बढते जाना है ।मोदी जी ने भी उन्हे अपनी पार्टी के हित वाली शुभकामना दे दी ।कुल मिलाकर यह अविश्वास प्रस्ताव का दृश्य बहुत ही यादगार रहा ।
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