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वे मेरे पड़ोसी

V2...Value and Vision
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1)

वे
मेरे
पड़ोसी
उन्मादित
करते संधि
उठाते बन्दूक
फना होते विश्वास .

2)
जो
कभी
निभे ना
दोस्ती तब
निभा जी भर
रिश्ता दुश्मनी का
याद कुछ तो रहे .

3)

मैं
कभी
गिरूँ तो
थाम लेना
क्योंकि तुम ही
हो मेरा विश्वास
रहे जन्मों का साथ .

4)

मैं
एक
तितली
मंडराती
फूल फूल पे
पर सहेजती
सिर्फ पराग कण .

5)

ये
कैसा
मंज़र
फैला लहू
क्या पृथ्वी बनी
है मंगल ग्रह
जीव से महरूम .

6)


एक
कहानी
ऐसी कहूँ
जिसे जमाना
भुलाये कभी ना
और ज़िंदा रहूँ मैं .

7)

मैं
नदी
भर लो
अंजुली में
या मटके में
आकार ही लूँगी
मटका ना बनूँगी .

8)

जो
मिले
थोड़ी सी
मोहलत
चलाती रहूँ
लेखनी जी भर
रच जाए संसार .

9)

तू
मेरा
नसीब
ना हो पर
नसीब को भी
बदलते देखा
जब मुझे वो मिला.

10)

तू
नहीं
किसी के
पेशानी पे
शमशीर सा
जिसे उंगली से
पोंछ गिराया जाए .

11)

हैं
ऐसे
मिज़ाज़
मौसम के
बदलते हैं
कुदरत के ही
नियमानुसार ये .

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