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सियासी सिपहसालार और उनके सख्त पहरे

V2...Value and Vision
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मुनव्वर माँ के आगे कभी खुल कर ना रोना

जहां बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती

फेसबुक मुख्यालय में माँ से सम्बंधित बात पर प्रधान मंत्री मोदी जी के भावुक क्षणों पर मुनव्वर राणा साहब का एक यह शेर मुझे बरबस याद आ गया .एक आम संतान की तरह मानवीय रिश्तों की इस संवेदनशीलता की सहज बानगी में तथाकथित कैसा नाटक था किसी भी संतान को समझ में नहीं आया ‘.माँ ‘तो एक ऐसा शब्द है जिस बात पर असहमत लोग भी सहमत हो जाएं.मानवीय रिश्तों के संबंधों में सबसे मौलिक मधुर और पावन व्याख्या है ‘माँ’ .पर नहीं….स्वदेश में कुछ लोगों ने इसे भी मुद्दा बनाने से परहेज नहीं किया .
किसी शायर ने ठीक ही कहा है…

ये नज़रें काम है या सियासत की साज़िश
हम अज़नबी ठहराए गए अपने ही वतन में

.क्योंकि यहां माँ मोदी जी से जुड़ा शब्द ….मोदी जी से जुड़ा रिश्ता हो जाता हैं……वाह री सियासत और वाह रे सियासी खिलाड़ी !!!!वाह रे ……सियासी सिपहसालार और वाह रे …..उनके पहरे !!!!
सच कहा है किसी ने …

हमने तो देखा है वो जहर उगलते हैं
जो लोग सियासत की आगोश में पलते हैं.

मोदी जी की ‘मैं ..मैंने’ …जैसे शब्द को जरूर टीम के ‘हम …हम सब’ में बदलने की आवश्यकता है.एक नेता को बरगद के वृक्ष की तरह विशाल होना चाहिए पर इतना नहीं कि अपनी स्वयं की जड़ों से ही धरती को पाटने लगे …अपने नीचे किसी पेड़ पौधे को पनपने और विकसित ही न होने दे ….अपितु नेता को तो नीम के वृक्ष की तरह होना चाहिए जो स्वाद में भले ही कड़वा होता है पर अपने प्रत्येक भाग …जड़ छल बीज पत्ते सहित उपयोगी होता है .पक्षियों के द्वारा दूर दूर तक फ़ैल जाता है.नेता के लिए अंग्रेज़ी शब्द लीडर  LEADER को ध्यान से पढ़ें तो लेटर थोड़ा इधर उधर करने से डीलर  शब्द (DEALER ) बनता है अर्थात लीडर वही है जो एक अच्छा डीलर भी हो चाहे वह जनता के साथ डील की बात हो …देश के नेताओं से या फिर सुदूर और पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक सम्बन्ध रखने की …..लीडर इज़ अ डीलर LEADER IS A DEALER .
मोदी जी और उनकी टीम के द्वारा शुरू किये योजनाओं के लिए ,उनकी विदेश यात्राओं के लिए आलोचना से ज्यादा मंथन ज़रूरी है.अगर कुछ अनुचित दिशा में हो रहा हो तो उसे संसद के सत्र में रखा जा सकता है.पर संसद सत्र सिर्फ कुछेक मुद्दों की भेंट चढ़ जाता है.सियासत के सिपलसहारों के ऐसे सख्त पहरों की वज़ह से अब मोदी जी ने भी हर बात का ज़वाब देना छोड़ दिया है क्योंकि उन्होंने समझ लिया है…

फैला हुआ है जहरे सियासत जहाँ तहाँ
करते फिरोगे आप हिफाज़त कहाँ कहाँ

.सही नैतिक मूल्यों के बल पर ज़िंदगी जीने वाला सबसे ज्यादा परेशान किया जाता है …वैसे भी अच्छी सही सपाट हाई वे पर ही सबसे अधिक दुर्घटनाएं होती हैं.

.

कोई नेता तो है जो ……
समयानुकूल…

दहाड़ सकता है….
नमन कर सकता है …..
मंगल के MOM पर…… फख्र ……
धरती की माँ के त्याग पर .आंसू …
बहा सकता है.

हमें ऐसे किसी भी नेता पर गर्व है जो…
देश के गौरव के परचम को लहरा सकता है.

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