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कीमती वक्त के भारी भरकम
बजट के साथ तैयार मेरी रचनाएँ
मंच पर किसी फिल्म सरीखी
रीलिज़ होती जा रही हैं
उसका प्रीमियम जैसे ही मुख पृष्ठ के
multiplex पर दिखाई देता है
कुछ तो title देख कर ही उलटे पैर
भाग जाना चाहते हैं
पर कुछ उस matinee या कभी-कभी
evening शो का टिकट ले ही लेते हैं
पर पिक्चर भी पुरी कहाँ देखते हैं ?
शायद ३ घंटे के आदर्श समय
को ये लांघ जाती हैं तो ,सज़ा देते हैं भाई
कुछ तो intermission के पूर्व और
कुछ intermission के बाद का ही देख
प्रतिक्रिया छोड़ जाते हैं और जब मैं
review पर जाती हूँ तो ये प्रतिक्रिया
मुझे चिढाती सी प्रश्न कर जाती है
क्यों अब हर शो में ही हॉल खाली सा
नज़र आता है ?????????????
मूवी के किरदार हो गए बोरिंग?????????
या dialauge ,या फिर कमबख्त
पुरी मूवी ही एकरस उबाऊ होकर
बस पिटती चली जा रही !!!!!!!!!!!!!!!!!!
tragedy queen का खिताब तो नहीं दे दिया
या आशावाद का प्रचंड रवि है झुलसा गया
ओ दर्शकों(पाठकों/लेखकों)मेरी मूवी पिटने का
कारण भी तो अपनी प्रतिक्रियाओं में बताओ………….
सच है मेरी रचनाओं को भी बनना होगा
कभी पा,कभी भूल-भुलैया,तो कभी कहानी
की विद्या बालन ,लीक से हटकर ,अलग-अलग रूप ले
या बोलो फिर क्या मैं बन जाऊं आमिर खान ?
साल में एक मूवी सदृश; बस एक मास में एक ही रचना
जो धमाके के साथ ‘अधि मुल्यित,अधि पठित,अधि चर्चित’
हॉल में कई दिनों तक कई-कई शो में चलती रहेंगी
अरे !!सुनो तो !!!!!!!!! कम से कम इस शो के सारे
टिकट तो बिकवाओ ‘ इस धमाकेदार ,लीक से हटकर
बने मूवी के लिए houseful kaa board तो लगवाओ.
हंसना मना है…………………….
इसमें लाफ्टर का तडका है kyaaaaaaaaa ………???????????
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