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आओ, मर्यादा का भी रंग घोलें

V2...Value and Vision
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आप सबों की ज़िन्दगी में खुशियों के सारे रंग हो ;होली की शुभकामना के साथ यमुना का प्यार भरा नमस्कार

ज़िन्दगी रंगों के बिना कितनी अधूरी है,वसंत के आगमन की आहट होते ही प्रकृति अपने पुरे श्रृंगार के साथ हर प्राणी को मदमस्त करने में कोई कसर नहीं छोडती.और फिर वसंत पंचमी से ही दस्तक देती,सारे बंधनों को तोड़ रंगों से सराबोर यह मदमाती होली…..रंगों के पीछे छुपे चेहरे कितने अपने हैं कितने पराये ; सारे कगारों को तोड़ देती है.
अगर इसे वास्तव में रंगों के महत्व के रूप में खेला जाए तो भारतीय संस्कृति की इन्द्रधनुषी छटा दुनिया के विस्तृत आसमान पर छा जाए पर अफ़सोस….. लोग इस अवसर पर मर्यादा भूलने की गलती कभी-कभी कर जाते हैं जो इस रंगीन पर्व को ज़िन्दगी भर के लिए बेरंग कर जाती है.
पाठकों मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें और साथ ही इस पर्व को इसकी पुरी आभा,सौंदर्य,मर्यादा के साथ मनाकर इस अवसर का मान बढाएं …
हर तरफ रौनक,ढोल-मंजीरों का शोर-गुल
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फिजा में  बिखरे रंग ,ये मस्त वासंती छटा,
आओ इसमें मर्यादा का भी एक रंग घोल दें
ना कभी छाये इस पर अश्कों की काली घटा ……………..???

ये गुजारिश करो कि किसी रंग केअर्थ न बदलें
उत्साह का लाल रंग कहीं ना हो जाए रक्तिम
कुदरती चमक पीले,हरे,गुलाबी,नीले रंगों की
अमर्यादित हो ना इन्हें कोई कर जाए मद्धिम …………..

दुआ मेरीयह है कि हर वर्ष की तरह ये होली भी
गुज़रे रंगों की,
बारिश और ढेरों खुशियों के संग
जाति-पाति,धर्मं से उठ,बांटे मैंने जिन रंगों को,
बँटजाए हर भारतीय में बस वे ही पवित्र रंग………………

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