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Ralph Waldo Emerson का कहना है
“Love of beauty is taste…..the creation of beauty is art.”
एक लेखनी स्वयं में कला के सभी आयाम को समेटने या उनके सृजन की क्षमता रखती है.
आज फिर…
मंथन करने को उसका जी चाहा .
सोचती रही वह…
गर ना होते
नर्तक,गीतकार,संगीतकार
कवि,लेखक,कहानीकार
साहित्यकार और चित्रकार .
तो…होती,
कितनी बेरंग;कितनी नीरस
ये दुनिया.
कल्पनाएं समाती कैसे
फैले हुए कैनवास पर ??
सौंदर्य रूप पाता कब
मूक बोलती शिल्प तराश पर ??
कदम झूम पाते कैसे
कुदरती साज़ो आवाज़ पर ??
और….स्वर ??
वो तो यूँ ही
घुट-घुट कर मर जाते
कौन बांधता इन्हे
सप्त सुर लहरियों में ??
जीवन के विविध रूप
धूप-छाँव का अनोखा संगम
अभिव्यक्ति कैसे पाता ???
उसे इस बात का दुःख नहीं कि
वह है ,क्यों नहीं….
एक कवि ,नर्तक
कहानीकार,संगीतकार
गीतकार ,कलाकार
साहित्य्कार या चित्रकार.
है गहन संतुष्टि…………
कि वह है …एक
नन्ही सी लेखनी
ईश्वरीय अनुकम्पा से….
भरती है रंग शब्दों से
रचती है चित्र विचारों से
पिरोती है स्वर लम्हों से
बजाती है यंत्र भावों से
गढ़ती है शिल्प कल्पनाओं से
बुनती है कथ्य ख़्वाबों से
खुदा की रहमत से
कोशिश करती है सृजन की
कुछ खुरदरे से शिल्प
कुछ अस्पष्ट से बोल
कुछ बेडौल से बुत
कुछ बिखरे से स्वर
कुछ टूटे से ख्वाब
कुछ फीके से चित्र
कुछ बहके से नृत्य .
हाँ …….
बस ऐसे ही ,,,,,
समेट पाती है…
कला के विभिन्न आयाम
नी .
यह रचना मैं अपने सभी ब्लॉगर साथियों को नव वर्ष के उपहार स्वरुप भेंट कर रही हूँ…..हर लेखनी समाज को सुन्दर से सुन्दरतर और फिर सुन्दरतम बनाये और यह समाज सत्यम शिवम् सुंदरम के भाव से परिपूर्ण हो जाए यही ईश्वर से प्रार्थना है.
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