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“ह्रदय की पुकार ही कविता है” मन में उठने गिरने वाली असंख्य धाराएं ही कविता का सागर बन जाती हैं.प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंद पन्त की एक पंक्ति याद आ रही है “वियोगी होगा पहला कवि,आह से उपजा होगा गान”आज कितना सही प्रतीत होता है. कवि shalley ने भी कहा है “our saddest thoughts are the sweetest song ”
महाकाव्य रामायण के रचयिता वाल्मीकि जी ने जब क्रोंच पक्षी को घायल देखा तब उनकी तीव्र पीड़ा इस श्लोक में व्यक्त हुई “माँ निषाद प्रतिष्ठा त्वमगति शाश्वती समां ,यात्क्रोंच्मिथुनादिक्मावधि काममोहितम”….
मेरे भी अंतर्मन में कविता बनने की संभावना लिए ,शब्दों के बीज कहीं सुशुप्त पड़े थे.एकाकीपन के प्रकाश ने उन्हें जगाना शुरू किया,जीवन के अस्थायित्व और क्षणभंगुरता के एहसास की बारिश ने बीजों को सींचना आरम्भ किया और अंतर्मन की उर्वर भूमि तो न जाने कब से सृजन के लिए व्याकुल थी, बस बीजों ने गहन अन्धकार भरे अंतर्मन की मिटटी में प्रस्फुटित होना शुरू कर दिया .
दस वर्ष तक अध्यापन में सेवा देकर जब मैंने विराम लिया तो मेरे खालीपन को चुपके-चुपके कविता ने भरना शुरू किया. हमसफ़र अपने काम के सिलसिले में एक शहर से दुसरे शहर सफ़र करते रहे और मैं उनके साथ हर शहर की यादों के तिनकों से अपने मन में विचारों के घरोंदे बनाती उन्हें सहेज कर रखने लगी .बेटी के बाहर जाने के बाद यह रिक्तता कुछ ज्यादा ही बढती गयी और मैंने उस एक-एक अनमोल क्षण को शब्दों का रंग देकर कागज पर सुंदर कविता रूपी कृति बनानी शुरू कर दी.
इंसान कितना भी मजबूत हो उसकी भावनाओं की बर्फ जब पिघलती है तो आँखों की राह बहकर दुनिया के सामने आ ही जाती है .मैंने इन्ही मोतियों को अपनी सबसे मजबूत शक्ति बनाने की कोशिश की है .मैंने यह महसूस किया है कि कविता मानव मन को अत्यंत कोमल बना देती है साथ ही उसे आध्यामिकता के करीब ले जाती है और जीवन को सहजता से स्वीकार करना बहुत सरल हो जाता है. जिस प्रकार किसी भाषा को समझना उसके बोलने से ज्यादा आसान होता है उसी प्रकार कविता को समझना, उसे अभिव्यक्त करने से ज्यादा सरल होता है
सर्वशक्तिमान ईश्वर का बोध,जीवन-मृत्यु का सत्य,रिश्तों के विभिन्न आयाम,समाज के विभिन्न पहलुओं से जुडी समस्याएं मुझे उद्द्वेलित करती हैं. मैंने इन सभी भाव को स्पर्श करने की छोटी सी कोशिश की है. हर शब्द बूंद की तरह सुक्ष्म ज़रूर है पर कविता के विशाल सागर के सृजन की क्षमता समाये हुए है जिसमें भावनावों के संपूर्ण आकाश को प्रतिबिंबित होते हुए देखा जा सकता है. मैंने अपनी कवितावों के संकलन को नाम दिया है”सृजन -बूंदों से सागर का ” ईश्वर,समाज,प्रकृति,मानवीय रिश्ते,पर्यावरण,नैतिक मूल्य देश भक्ति के सतरंगी किरणों को समेटे यह संकलन आप सबको इन्द्रधनुषी एहसास दिलाने में कितना सक्षम होगा यह तो मैं नहीं जानती पर यह विशवास है कि कविता की लावण्यता और सुन्दरता के लिए जो भाव आवश्यक हैं वे मेरे हर शब्द में छुपे हैं .अपनी भावनाओं को आप तक पहुँचाने में अगर कोई भूल हो जाए तो आप सबसे क्षमाप्रर्थिनी हूँ
“सृजन -बूंदों से सागर का “संकलन के साथ
यमुना पाठक
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