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कश्मीर के सेव से कपोल(कांटेस्ट)

V2...Value and Vision
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बंटी के नाश्ते की प्लेट रोज़ ख़त्म हो रही है,सूप से भरे बाउल में सूप के एक बूँद के भी निशाँ नहीं बचते,कॉम्प्लान,हॉर्लिक्स,बोर्नविटा मिले दूध के गिलास के बड़े आकार की शिकायतें अब परेशान नहीं करतीं.नैन्सी फिर भी अपने बेटे की परवरिश से खुश और संतुष्ट नहीं थी.उसे अपने बेटे की दिनोंदिन क्षीण होती काया का कोई इलाज़ नज़र नहीं आ रहा था.डॉक्टर के पास ले जाने का कोई कारण नहीं दीखता था क्योंकि बंटी के गालों के कश्मीर के सेव की लालिमा और चमक दोनों ही उसके असीम संतुष्टि से परिपूर्ण स्वास्थ्य की चीख-चीख कर घोषणा कर रहे होते थे.क्षीण होती काया और रक्तिम होते गाल; यह कैसा विरोधाभास था.नैन्सी के लिए यह विरोधाभास राज़ नहीं रहा जब घर के पीछे के हिस्से बने सर्वेंट कवार्टर में रहने वाले सूरज और सरला के बेटे गुड्डू को उसने ध्यान से देखना आरम्भ किया.गुड्डू बंटी से उम्र में एक वर्ष ही बड़ा था .उसका स्वास्थ्य और चेहरा दिनों दिन निखर रहा था .कहीं कोई विरोधाभास ना था.नैन्सी को नाश्ते की प्लेट ,सूप का बाउल खाली हो जाना और पोषक तत्वों से पूर्ण दूध के के गिलास का आकार आधा-आधा होकर छोटा हो जाना सब अच्छा लगा.एक माँ होकर भी वह बंटी को जिन मूल्यों से रूबरू नहीं करवा पा रही थी वह उसने मानवीय प्रवृत्ति की सहजता से सीख लिया था.अगले दिन नैन्सी ने बंटी और गुड्डू दोनों को एक साथ ही टेबल पर नाश्ता दिया .नैन्सी बेटे के मूल्यों के साथ ज़िंदगी जीते देखना चाहती थी पर यह भी चाहती थी कि बेटे की काया उसके के कश्मीर के सेव से लाल कपोल के साथ तालमेल बिठा ले और वह शारीरिक,मानसिक,नैतिक,आत्मिक रूप से स्वस्थ और सुन्दर बने.

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