- 259 Posts
- 3039 Comments
What a mistake to demonetise our currency ! … even our ‘chillar’has become Miss world
इस तरह के मज़ाकिया बयान से वे स्वयं का ही अवमूल्यन कर रहे हैं .हलके ट्वीट्स नहीं करने चाहिए .हल्की चीज़ें ही उड़ती और तैरती हैं .LIGHT THINGS …. FLY एंड FLOAT .
हालांकि उन्होंने दूसरे ही ट्वीट से मानुषी की तारीफ़ कर लोगों से चिल रहने के लिए भी कहा .
Guess the pun is the lowest form of humour ,& the bilingual pun power still !!Apologies to the many who seem to have been righteously offended by a light-hearted tweet today .certainly no offence was meant to a bright young girl whose answer i’ve seperately praised .please : Chill !
जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को दो बातों पर ध्यान देने की ज़रुरत है .प्रथम बोलने के पूर्व सोचें ज़रूर .कहते हैं न शब्दों का चयन करने के बाद ही ट्वीट करें .पूर्वाग्रह से इतने ग्रसित ना हों कि कुछ भी कह जाएं और फिर माफी मांगें या एक और ट्वीट से डैमेज रिपेयर करें .
दूसरी बात यह कि नारी का सम्मान करें .वे प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं .उन्हें स्त्रियों के सशक्तीकरण से समाज में बदलाव के लिए जो समझ में आ रहा है वे शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके से करना चाह रही हैं .उन्हें हिंसा कर समाज में परिवर्तन नहीं लाना है .क्रान्ति के लिए वे ब्रेन ब्यूटी बेहेवियर के त्रिशूल को ही सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत कर रही हैं .मानुषी चिल्लर नहीं भावी चिकित्सक है.कितने फख्र की बात है कि मेडिकल स्टूडेंट उस बच्ची ने अपने स्वास्थय और सौंदर्य दोनों का ध्यान रख कर एक सुयोग चिकित्सक के ब्रांड इमेज को पहले स्वयं में ही लाने की बात सोचा .भविष्य में भी उसके अनुसार वह हेल्थ और हाइजीन पर ही सेवा करना चाहती है.यह अच्छी बात है कि आज की लड़कियां स्वयं को हर दिशा और दशा से सर्वोत्तम प्रस्तुत कर रही हैं .बच्चियों को .मज़ाक की वस्तु बनाने की नहीं बल्कि और भी अच्छे कार्य और सेवाओं के लिए प्रेरित करने की ज़रुरत है .
क्रान्ति और बदलाव हेतु
तलवार की जगह कलम ही
उठाती हैं क्यों नारी ??
तुम पर ; तुम्हारे पूर्वजों पर भी
यही प्रश्न पड़ा है भारी .
देखा है तुमने समाज में
सीता,राधा,द्रौपदी सुभद्रा
गार्गी ,मैत्रेयी ,यशोधरा
और महादेवी ,महाश्वेता
इंदिरा प्रतिभा सरीखी
एक नहीं बल्कि कई कई
पर रज़िया ,लक्ष्मी बाई सरीखी
दिख सकी कोई विरली ही
‘ नारी शक्ति का रूप है ‘
कहते हुए इस सच को
काँप जाते हैं होंठ तुम्हारे
जुबाँ अटक जाती हलक में
मानते हुए यह सच
भूकम्प आ जाता मस्तिष्क में .
.
जबकि परिचित हो तुम
स्त्री शक्ति से बखूबी
उपासना लक्ष्मी शारदा की
करते हो वर्ष में एक दिन ही
कितने भयभीत हो शक्ति से
कि सर झुकाते करते उपासना
एक वर्ष में दो बार भक्ति से
नौ दुर्गा नौ रात्रि की रीति से
यह भय है या भक्ति ???
मानते हो तुम यह भी कि
भय बिनु होऊ ना प्रीति
इतिहास गवाह है
मिला हर बार जीवन दान तुम्हे
कलम की स्नेह शक्ति से
क्योंकि ……
स्वयं जैसी निरीह,देखना
चाहती नहीं कोई स्त्री,स्त्री को
बख्श देती हर बार तुम्हे
रखती ध्यान न तलवारों का
नहीं चाहती वह संख्या वृद्धि
विधवाओं और बेसहारों का
शक्ति का शंखनाद तो नारी
कर सकती है बारम्बार
पर नहीं चाहती रक्तरंजित
कहानियों का वह व्यापार .
Read Comments