V2...Value and Vision
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1)
कितना शोर है शहर में पर ये बेदम सी आवाज है
अंतर्मन की खामोशी सुनने का साहस न समय है
खामोश पहाड़ों खाली घरों में ही प्रतिध्वनि गूंजती है ।
2) एक वक्त था काम कर शरीर से नमक बहता था
बंद कमरों के ए सी ने उपहार में मधुमेह दे दिया
सभ्यता और विकास के नाम पर वक्त ने करवट ली है ।
3)
जिंदगी हवाई जहाज सी न उड़े
जिंदगी हाथ रिक्शा सी न चले
गति और मति दोनों में संतुलन तो चाहिए ।
4)
मुझसे छीन लिया तुम ने मासूम इंसानियत
सपनों को तार तार करने की रही बदनीयत
भीतर बसे बच्चे को कैसे मार पाओगे तुम ?
5)
बात राई सी थी तुम ने तो पहाड़ बना दिया
रो रो कर इन आँखों को समंदर बना दिया
‘पहाड़ चलता नहीं समंदर सूखता नहीं’ यह खबर नहीं ?
6) सत्यम शिवम सुन्दरम का अर्थ था मुझे पता
सत्यमेव जयते कहते सुनते अब प्रौढ हो गया
आदर्श.. सत्य या यथार्थ यही समझ नहीं सका ।
यमुना पाठक
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