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मानव संसाधन (एच आर ) ह्यूमन(मानव) से ह्यूमेन(मानवीय)

V2...Value and Vision
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किसी भी प्रतिष्ठान में मानव संसाधन विभाग का महत्व बहुत अधिक होता है .यह विभाग मशीन नहीं बल्कि उस पर काम करने वाले मानव मशीन से सीधा सम्बंधित होता है .हम हर व्यवसाय से सम्बंधित दिवस मनाते हैं . 3 दिसंबर को डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ( 3 दिसंबर 1884 – फरवरी 28  1963 ) के जन्म दिवस को वकील दिवस के रूप में मनाते हैं. स्वतंत्र भारत केप्रथम राष्ट्रपति एक श्रेष्ठ वकील थे .5 सितम्बर को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में , एम् विश्वेशरैया जी के जन्म दिवस 15  सितम्बर को अभियंता दिवस के रूप में ,डॉक्टर विधान चंद्र रॉय जी के जन्म और मृत्यु दिवस 1 जुलाई (1 जुलाई 1882 – 1 जुलाई 1962 )को डॉक्टर्स दिवस के रूप में मनाते हैं .
इसी क्रम में जब मानव संसाधन एच आर दिवस के विषय में जानने के लिए गूगल सच किया तो सिर्फ एक सूचना मिली कि भारत में यह दिवस 11 अगस्त को मनाया जाता है .क्यों और किस के जन्म दिवस के रूप में यह जानकारी ना मिल सकी .वैश्विक तौर पर भी यह किस दिन मनाया जाता है .इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी .
मानव संसाधन प्रबंधन के जनक के रूप में जॉर्ज एल्टन मेयो का नाम लिया जाता है.उनका जन्म एडिलेड साउथ ऑस्ट्रेलिया में 26  दिसंबर 1880 को हुआ था .और मृत्यु गिल्डफोर्ड सूरी में 7 सितम्बर 1949 को हुआ था .वे एक संभ्रांत परवार में दूसरी संतान के रूप में जन्म लिए थे .यह अपेक्षा की गई कि वे अपने दादा जी की तरह मेडिसिन को करीयर के रूप में चुनेंगे .परन्तु वे विश्वविद्यालय की परीक्षा में अनुतीर्ण हुए और ब्रिटैन चले गए .यहां उन्होंने लेखन और अध्यापन शुरू किया पुनः ऑस्ट्रेलिया लौटकर एक पब्लिशिंग बिज़नेस के लिए लिखा परन्तु प्रबंधन पर उनके दृष्टिकोण ने उन्हें अलोकप्रिय बना दिया .वे पुनः अध्ययन के लिए चले गए और दर्शनशास्त्री सर विलियम मिचेल के मेधावी छात्र बने .
मेयो ने अपने सबसे प्रचलित प्रयोग पर हॉथ्रोने वर्क्स ऑफ़ पर जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी शिकागो में 1924 और 1927 में काम किया .उन्होंने प्रयोग किया कि थकान और एकरसता कार्य उत्पादकता को कैसे प्रभावित करती है और इसे काम के बीच आराम के ,कार्य घंटों ,तापमान आद्रता इत्यादि की समझ से कैसे नियंत्रित किया जा सकता है .1920  के आंदोलन के वक़्त से ही आधुनिक मानव संसाधन ने संस्थाओं में एक विभाग के रूप में स्थान बना लिया था .इस आंदोलन ने सिद्ध कर दिया था कि सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारक श्रमिक की उतपादकता और प्रतिफल को बेहतर ढंग से व्यक्त कर सकते हैं.मेयो को उनके इस शोध हॉथ्रोने अध्ययन और प्रभाव् के लिए जाना गया और मानव सम्बन्ध आंदोलन का पिता कहा गया.यह इफ़ेक्ट यह बताता है कि श्रमिक की उत्पादकता और गुणवत्ता के लिये पहले उन श्रमिकों को पढ़ने देखने और समझने की ज़रुरत है.इस प्रयोग ने यह बता दिया कि लोग पूर्णतः आर्थिक नहीं बल्कि कुछ अन्य अतिरिक्त कारकों से भी प्रभावित होते हैं.उनकी पुस्तक the human problems of an industralized civilization १९३३ बहुत प्रसिद्ध हुई.मेयो के एम्प्लाइज रोएथलिसबेर्गेर और डिक्सॉन ने व्यवहारिक प्रयोग किये .प्रबंधक कैसा व्यवहार करें ,उत्पादकता कैसे बढ़ाई जाए ,जैसे कार्य स्थल पर उचित प्रकाश की व्यवस्था , कार्य के साथ आराम इत्यादि ..अर्थात श्रमिकों में कार्य संतुष्टि सर्वाधिक आवश्यक तत्व माना गया.प्रत्येक व्यक्ति के महत्व को समझना,ज़रूरी समझा गया.लोगों ने कार्य समूह बनाकर संस्था को मदद की .मेयो ने निष्कर्ष निकाला कि लोगों के कार्य के कुशलता सामाजिक संतुष्टि और कार्य के प्रकार पर ही निर्भर करते हैं.उन्होंने बताया कि श्रमिक और प्रबंधन के बीच संघर्ष का मूल कारण श्रमिकों की तार्किक भावनाएं और प्रबंधन के तार्किक खर्च और कुशलता कॉस्ट और एफिशिएंसी का अंतर है .
मेयो का विश्वास था …श्रमिक को समूह का सदस्य सा देखा जाए .उन्हें समूह का भाग बन कर कार्य करना सबसे अच्छा लगता है.प्रबंधन को इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए .उन्होंने इंटरव्यू के भी कुछ नियम बताये .अभ्यर्थी पर पूर्ण ध्यान दिया जाए उसे लगे कि वह महत्वपूर्ण है .उसे सुनना है ,तर्क वितर्क या सलाह मश्वरा नहीं करना है .सुनें कि वह क्या कहता है ;सुनाने कि कोशिश करें कि वह क्या नहीं कहना चाहता है और यह भी सुनें कि वह बगैर सहायता के क्या नहीं कह पा रहा है.
मेयो ने १९४७ तक अपने शोध और व्याख्यान को जारी रखा और हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल से जुड़े रहे .मेयो के इस योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता .त्राहिर के अनुसार ..मेयो ने औद्योगिक सभ्यता के मानवीय सामाजिक और राजनितिक पहलू को नजदीक से समझा जिसे आधुनिक समय में संस्थागत व्यवहार कहा जाता है .उन्होंने औद्योगिक जगत में वैज्ञानिक प्रबंधन को समझने पर विशेष जोर दिया . आज जहां श्रमिक और प्रबंधन के बीच संघर्ष आम सा हो गया है ,मेयो के विचारों को समझने आगे बढ़ाने और अमल में लाने की ज़रुरत है .ताकि मानव संसाधन विकास कर सके .प्रबंधन के मानवीय व्यवहारों और तरीकों से स्वप्रेरित होकर उत्पादकता को बढ़ाने में सहयोग दे सके.
उनके कुछ प्रसिद्ध कथन …
“one friend ,one person who is truly understanding who takes the trouble to listen to us as we consider our problem ,can change our whole outlook on the world .”

“the problem is not that of the sickness of an acquisitive society it is that of the acquisitiveness of a sick society .”

” if our social skills (that is our ability to secure co-operation between people)had advanced step by step with our technical skills there would not have been another European war.”

” what social and industrial research has not sufficiently realized as yet is that …minor irrationalities of the average normal person are cumulative in their effect .they may not cause ‘breakdown ‘in the individual but they do cause ‘breakdown ‘in the industry.

” Management , in any continuously successful plant ,is not related to single worker but always to working groups .in every department that continues to operate the workers have whether aware of it or not formed themselves into a group with appropriate customes ,duties ,routines even rituals and management succeeds or fails in proportion as it is accepted without reservation by the group as authority and leader .’

आधुनिक मानव संसाधन का पिता की उपाधि दावे उलरिच ( Dave Ulrich ) को दी गई है .2012  में उन्हें एच आर मैगज़ीन ने आधुनिक मानव संसाधन का जनक माना और लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया .उनका जन्म 13 सितम्बर 1953  को हुआ था .
एक बात यह भी कि हमारे देश में मानव संसाधन मंत्रालय की स्थापना संविधान के 174 वें संशोधन के साथ 26सितम्बर  1885 को हुई .26  सितम्बर को मानव संसाधन दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाना चाहिए .भारत देश में यह मंत्रालय मानव संसाधन के विकास के लिए जिम्मेदार है.इसका मुख्यालय शास्त्री भवन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद रोड नई दिल्ली में है.चूँकि मानव संसाधन के विकास की की मूल कुंजी शिक्षा है समाज के सामाजिक आर्थिक संरचना का ताना बाना शिक्षा से ही मज़बूत होता है ,अतः मंत्रालय दो विभागों में बंटा है…डिपार्टमेंट ऑफ़ स्कूल एजुकेशन एंड लिटरेसी ज प्राथमिक माध्यमिक और प्रौढ़ शिक्षा तथा साक्षरता को देखता है .दूसरा डिपार्टमेंट ऑफ़ हायर एजुकेशन जो विश्वविद्यालय शिक्षा तकनीक शिक्षा छात्रवृति इत्यादिको देखता है.यह यूनाइटेड स्टेट्स और चीन के बाद विश्व का सबस्व बड़ा मंत्रालय है.
सही शिक्षाके प्रचार प्रसार से ही एक सुन्दर सुनियोजित परिष्कृत प्रगति शील समाज की स्थापना संभव है .मानव को मानवीय गुणों से युक्त बनाने का महती कर्त्तव्य सही शिक्षा ही निभाती है.इस दृष्टिकोण से भी 26 सितम्बर को एच आर डे अर्थात मानव संसाधन दिवस के रूप में अवश्य मनाना चाहिए ताकि मानव एक अनमोल संसाधन के रूप में विकास की दिशा तय कर सके .

एक यात्रा रूपांतरण की तरफ ….एच आर के ह्यूमन अर्थात मानव से ह्यूमेन मानवीय होने तक की खूबसूरत यात्रा .

जानकारी गूगल से साभार

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