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मुझे नहीं चाहिए मुफ्त का धुवाँ
हर रात जब मैं अकेला होता हूँ, तो आत्म मंथन करता हूँ| अपने पुरे दिन कि घटनाओं को सोचता हूँ, विश्लेषण करता हूँ और हमेशा अपने आपको एक शून्य समाज का हिस्सा पाता हूँ | हर किसी को लगता है कि वहीँ सही है| ऐसा मुझे भी लगता है पर मेढ़क को सर्प कहने से उसका व्यक्तिव परिवर्तित तो नहीं होगा, वो मेंढक ही रहेगा|
जीवन एक कुवें के सामान हैं गहरा, बहुत गहरा और इसकी जितनी गहराई मे जाओगे सांसे फूलने लगेंगी, आँखों के सामने काला पन छाएगा पर ये ही जीवन के गूढ़ रहस्यों को विस्तृत करेगा| कहने का तात्पर्य बस इतना है कि ये जीवन आपका है इसे व्यवस्थित करना आपकी जिम्मेदारी है| अपने जीवन कि गहराई मे उतर कर देखे जल्द ही डर कर बाहर न आ जाये क्युकी सारे प्रश्नों के जवाब यहीं मिलेंगे | ये बातें आगे क्रमिक रूप से समझ मे आ जाएँगी|
जब भी कोई देश विकसित होता है तो अपने प्राकृतिक पदार्थो का सम्पूर्ण दोहन करता है ऐसा करने से जहाँ विकास होता है वहीँ देश के पर्यावरण को असंतुलित भी करता है पर फिर भी हम ये कहते है कि विकास हुआ| पर जब देश के नागरिक वातावरण को प्रदूषित भी करे और देश का विकास भी न हो तो उसे क्या कहा जाये? आज देश का हर नागरिक धुवों से परेशान है जो विकास का नहीं धुम्रपान का है| बस यहीं है मुद्दे कि बात| मै आज आपको बताता हूँ कि जीवन कि किन किन अवसरों पर मुझे इन धुवों का सामना करना पड़ा है|
एक दिन प्रातः मैं दूध लेने बगल कि दुकान पर गया मैंने देखा एक किशोर नवयुवक जो करीब १५ वर्ष का होगा धुम्रपान कर रहा है और साथ ही आते जाते लोगो पर धुवा उड़ा रहा है|
मैं अपने कमरे मैं बैठा था तभी मुझे धुम्रपान कि बदबू आई, मैं कमरे मे अकेला था | धुवाँ खिड़की से अन्दर आ रहा था खिड़की से मैंने झांक कर देखा कुछ लोग मेरे खिड़की के बहार धुम्रपान कर रहे थे|
मैं सब्जी लेने निकला एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति धुम्रपान करते सड़क पर घूम रहा था और सामने से आ रही एक औरत के बिलकुल मुहं पर धुवाँ छोड़ दिया औरत हाथो से धुवाँ हटाती हुई आगे बढ़ गयी|
स्वास्थ्य ठीक नहीं था डाक्टर को दिखा कर दवा लेने दुकान पर गया तभी दस बारह साल के कुछ बच्चे धुम्रपान करते बाम खरीदने आये और पूरी दुकान मे धुवा धुवाँ कर दिया| दुकान वाले के मना करने के बाद भी वो कश पर कश लगाते रहे|
मैं बस मे सफ़र कर रहा था मेरे पीछे बैठा व्यक्ति धूम्रपान करने लगा थोड़े देर मे ड्राइवर भी पीने लगा पुरे बस मे धुवाँ हो गया कई यात्रियों के कहने पर भी उन्होंने पूरी कश लगा कर ही छोड़ा|
मैं बाल कटवाने गया दुकान के अन्दर पूरा धुवाँ भरा था जैसे आग लगी हो पूछने पर उन्होंने दुकान का दरवाजा खोल दिया और मुझे भी धुम्रपान के लिए आग्रह किया मेरे मना करने पर वो बाहर जाकर अपनी पूरी कश लेने के बाद आकार ही मेरे बाल काटा|
मैं ट्रेन से घर जा रहा था नित्य क्रिया के लिए जब बहार निकला तो कालेज के कुछ बच्चे ट्रेन के दरवाजे पर धुम्रपान करते दिखे| जिससे कई लोगो को असहजता हुई|
स्नातकोत्तर के लिए मैं बड़े कालेज मे आ गया यहाँ ज्यादातर सीनियर धुम्रपान करते है और जूनियर को भी पीने को कहते है जो नहीं पिता उसे कमजोर माना जाता है इन्ही वजहों से मेरे साथ के कई बच्चे धुम्रपान करने लगे|
आज मैंने अपने छोटे भाई को अपने दोस्तों के साथ धुम्रपान करते देख लिया|
मैं परीछा देने आया हूँ यहाँ मैंने एक लड़की को धुम्रपान करते देखा है जो बेहद कोने मैं खड़े होकर धुम्रपान कर रहीं थी|
रेलव स्टेशन के बहार सभी छोटे वर्ग के लोग धुम्रपान कर रहे है जिससे आने जाने वाले नागरिको को दिक्कत हो रही है|
मेरे ऑफिस मे कई लोग थोड़े थोड़े देर मे बाहर जाते है और जब वापस आते है तो इलाइची खाते है सभी को पता है कि वो बहार धुम्रपान करने गए थे|
मैं छत पर व्यायाम करने गया तभी सामने कि छत पर एक व्यक्ति को धुम्रपान करते देखा पूछने पर उसने बताया कि सुबह नहीं पिता हूँ तो पेट साफ़ नहीं होता|
जीवन के हर मोड़ पर हमारा सामना धुवों से हो रहा है पर हम जानकार भी अनजान है| एक बात साफ़ कर दू मुझे किसी के धुम्रपान करने से मुझे कोई दिक्कत नहीं क्युकी मैं ये बार बार कहता हूँ कि ये आपका जीवन है और इसे आपको ही समझना है आपको उचित लगता होगा तभी आप धुम्रपान करते होंगे पर जब बात मेरी है तो आपके करनी कि सजा मे क्यू भोगूँ, हो सकता है मैं थोडा स्वार्थी दिखू पर अपने जीवन और मेरे जैसे न जाने कितनो के लिए मुझे स्वार्थी शब्द भी मंजूर है| वो कहते है न कि आपकी स्वतंत्रता वहीँ तक है जहाँ तक मेरी नाक है और आपका धुवाँ मेरी नाक के अन्दर प्रवेश कर रहा है|
एक महान ज्ञानी ट्रेन से सफ़र कर रहे थे तभी उनके सामने बैठा व्यक्ति धूम्रपान करने लगा ज्ञानी ने पूछा… कि क्या ये आपकी ही सिगरेट है? सामने बैठे व्यक्ति ने बड़े तनकर कहाँ… हाँ मेरी ही है, ज्ञानी ने ना में सर हिलाते हुई कहा… मुझे तो नहीं लगता ये सिगरेट आप कि है| क्या ये आपने अपने पैसो से ही खरीदी है….? व्यक्ति ने झल्लाते हुए कहाँ …..हाँ अपने पैसो से ही खरीदी है| ज्ञानी ने फिर ना में सर हिलाते हुए कहा…. मुझे विश्वास ही नहीं कि ये आपकी ही सिगरेट है और आपने इसे अपने पैसो से खरीदी है? इस बार व्यक्ति झल्लाकर कहाँ कि मेरे ही पैसो कि है मानना है तो मानो या न मानो तब ज्ञानी व्यक्ति मुस्कुराया और बोला….. यदि ये तुम्हारे पैसो कि है तो इसे अपने पास ही रखो दुसरो मे क्यू बाट रहे हो? अगर ये सिगरेट तुम्हारी है तो इसमे से निकलने वाला धुवाँ भी तुम्हारा है इसे भी अपने पास ही रखो बाहर मत उडाओं|
सच मे सोचने का विषय है कि जब हम अपनी कोई भी जीज़ मुफ्त नहीं देते तो अपने पैसो का ख़रीदा हुआ धुवाँ मुफ्त मे लोगो मे क्यू बाट रहे है| तुम्हारा जीवन है और शायद यही है वो गहराई जिसमे कोई नहीं घुसना चाहता क्युकी अगर हर धुम्रपान करने वाला सिर्फ आत्म मंथन करे और अपने जीवन कि गहराई को समझ ले तो शायद उसकी वजह से न उसे और न किसी और को परेशानी होगी
मे किसी कि टी शर्ट पर लिखा देखा था कि DON’T DRINK AND DRIVE JUST SMOKE AND FLY ये सन्देश है सीधा देश के नाम नवयुवकों का | आज जब किसी अपने को, जो धुम्रपान करता है जोर से खांसी भी आ जाती है तो दिल डर जाता है कि उसे कुछ हो न जाये इसलिए जीवन कि गहराई को समझाना बेहद जरुरी है| मेरा एक दोस्त है उसको बस मे उल्टियां आती है और अगर अगल बगल कोई धुम्रपान करे तो उल्टी आना तो पक्का है| मुझे आज भी याद है वो किस्सा जब मैं अपने उसी मित्र के साथ बस मे सफ़र कर रहा था तभी उसके पीछे बैठा व्यक्ति धुम्रपान करने लगा मेरे दोस्त ने तुरंत ही उसे मना किया कि ऐसा न करे क्युकी उसे उल्टी आती है वो व्यक्ति तुरंत मान गया और अपनी सिगरेट फ़ेंक दी पर करीब आधे घंटे बाद वो फिर धुम्रपान करने लगा और मेरे मित्र को मिचली आ गयी और वो चिल्लाते हुए उठा और उस व्यक्ति पर उल्टियां कर दी| वो व्यक्ति बिलकुल भीग गया और मारे क्रोध मे चिल्लाते हुए बोला ये क्या किया तुमने? इस पर मेरे दोस्त ने मुस्कुराते हुए कहा कि तुम मुफ्त का धुवाँ दे रहे थे मैंने मुफ्त का चावल दाल दे दिया पूरी खिचड़ी बनाकर रख लो| और वैसे भी मैं मुफ्त मे कुछ लेता भी नहीं, हिसाब बराबर|
मैं कहीं से भी उसके इस तरह के व्यवहार कि तारीफ नहीं कर रहा बस यहीं कहना चाहता हूँ कि जब आप कुछ लोगो के मद्य है तो धुम्रपान न करे ऐसे करने से अन्य लोगो को परेशानी का सामना करना पड़ता है और अगर आप ऐसा नहीं करते तो आपके साथ भी ऐसा हादसा हो सकता है उसके लिए कोई और जिम्मेदार नहीं होगा|
मैंने अपनी लेखनी मे ये बिलकुल नहीं कह रहा कि आप धुम्रपान छोड़ दो क्युकी इससे तमाम बीमारी होती है न ही मैं उन बिमारियों का जिक्र कर रहा हूँ बस सभी को सामान्य शब्दों मे ये बता रहा हु कि आपके धुम्रपान से कोई और क्यू बीमार पड़े जिस बीमारी के हकदार आप है क्युकी आपने उसे कमाया है उसे अन्य लोगो मे क्यू बाट रहे है| आपकी बीमारी अपने पास ही रखे सामान्य जनता को तकलीफ न दे|
बेवक्त रोंद रहे हो हमारी जिन्दगी
मरना है तो खुद मरो
जिस बीमारी के हकदार तुम हो
उसे हमसे न जोड़ो
तुमने जीवन कि सुन्दरता को समझा नहीं है
अब मेरे कहने से क्या समझोगे
खून कि उल्टियां जब आएँगी
तब दायित्व को जानोगे
तेरे इन्ही धुवों से न जाने कितने घर नीलाम हो रहे है
न जाने कितने होंगे
माँ बहन पिता सड़क पर आ जाये
तब शायद तुम प्रसन्न होगे
तब शायद तुम प्रसन्न होगे|
यतीन्द्र पाण्डेय
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