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विकलांग

छोटी छोटी सी बाते
छोटी छोटी सी बाते
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विकलांग

वो अपने पैरो से चल नहीं पाता,
वो दौड़ नहीं सकता,
वो अधीर है,
क्योकि,
वो विकलांग है,
लोग उसे दया की दृष्टी से,
तो कभी घिन्न से देखते है,
वो शारीरिक बनावट मे,
हमारे जैसा नहीं,
आखिर मै कितनी देर उसे देख पाता,
समझ पाता,
पर मेरा जेहन
मुझसे प्रश्न पूछता है?
क्या शारीरिक बनावट ही,
शोभनियता की प्रतीक है?
क्या ये मांस का ढ़ाचा ही सब कुछ है?
मेरी और सभी की पहचान,
क्या इसी ढाचे से है?
मै तो बस हंस कर रह जाता हूँ,
खुद पर,
ये सोचकर,
की शारीरिक विकलांगता तो,
एक पहलू मात्र है,
हम तो मानसिक विकलांग है.
हाँ,
सही सुना
मानसिक विकलांग.

यतीन्द्र पाण्डेय  

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