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मेरी आबगीना भरी रहे

छोटी छोटी सी बाते
छोटी छोटी सी बाते
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मुझ पर पहरें ना लगाओं साक़ी
पिलाते रहो,
मुझे भी कुछ भूलना है,
एक बेवफ़ा का दामन,
हाथों से छुड़ाना है,
एक रिश्ते का घमंड,
लकीरों से मिटाना है ,
मुझ पर पर बस ये अहसान कर साक़ी….
मेरी आबगीना भरी रहे,
मेरे रुकसत होने से पहलें,
मेरी आँखो में नमी ना रहें।।

यतींद्र

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