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कंधे चार ही मिलते है|

छोटी छोटी सी बाते
छोटी छोटी सी बाते
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कंधेचारहीमिलतेहै|

मृत्यु हो किसी भी धर्म में,

कंधे चार ही मिलते है,

फिर ज़िंदगी की जद्दोजहद से,

हम क्यूँ लड़ते रहते है ?

ख़ून तो तेरा भी लाल है,

मेरा भी,

रात तेरी भी काली है,

मेरी भी

तू भी इसी भूमंडल की वायु में जीता है ,

मैं भी ,

तो इस देश के साथ छल क्यूँ करता है?

ये देश तेरा भी है,

मेरा भी,

तो इन बेकार के विचारों में,

हम खुद को क्यूँ ढकेलते है? I

मृत्यु किसी भी धर्म में हो,

कंधे चार ही मिलते है,

चार ही मिलते है।

यतींद्र

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