Menu
blogid : 5476 postid : 15

तेरा लिहाफ मेरा लिहाफ

kahi ankahi
kahi ankahi
  • 66 Posts
  • 3690 Comments

एक देश हुआ करता था हिंदुस्तान

उसे लिहाफ कर दिया

नेताओं ने अपने मंसूबों की खातिर

उसे १९४७ में आधा यानि हाफ कर दिया

लिहाफ के दोनों ही हिस्सों में

एक आग सी लगी है

इस आग में बेचारी और लाचार

बस जनता ही जली है

ये और बात है कि

उधर का लिहाफ कुछ ज्यादा ही जल  रहा है

मगर वहां की आग की तपिश से

ये हिस्सा भी पिघल रहा है

आखिर दोनों ही तो

एक ही लिहाफ के हिस्से हैं

दोनों की संस्कृति एक जैसी

दोनों के एक से ही किस्से हैं

वही आतंकवाद , भ्रष्टाचार और अत्याचार

वही गरीबी, वही लूटमार

इधर भी है , उधर भी

अब क्या हो इसका समाधान

कुछ आप ही कहें श्रीमान

मेरा तो ये कहना है

अब नहीं कुछ सहना है

प्यार से या ताकत  से

“उस’ तरफ समझाइये

उधर वाले लिहाफ को भी अब

अपने वाले लिहाफ से मिलाइये

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh